भाजपा सांसद वरूण गांधी ने पेंशन छोडऩे की आवाज बुलंद करके सभी का ध्यान खींचा
विपक्ष अपने राजनीतिक फायदे के लिए अग्रिपथ योजना को लेकर सवाल तो उठा रहा है लेकिन विपक्ष को कोई भी सांसद व विधायकों ने अग्रिपथ के विरोध में अभी तक वरूण गांधी की तरह अपनी पेंशन छोडऩे की आवाज बुलंद नही की है। जिससे चलते ही अग्रिपथ योजना के विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों के बीच विपक्षी नेता अपनी जगह बनाने में कामयाब नही हो सके है। किसान आंदोलन का विपक्षी दलों ने समर्थन तो किया लेकिन इसके बाद भी विधानसभा चुनावों में जनता ने उन्हें वोट नही किया। यह आंदोलन इस बात का प्रमाण है कि विपक्षी दलों को जनता के बीच जाने के लिए कुछ ऐसा करना होगा जिससे जनता में भरोसा जागे। विपक्षी दलों के द्वारा अग्रिवीरों की तर्ज पर ही अपनी पेंशन नही लेने की घोषणा करके निश्चित ही मोदी सरकार पर सभी सांसद व विधायकों का पेंशन बंद करने का दवाब बढ़ा सकते है जिससे कही ना कही मोदी सरकार पर अग्रिवीरों को पेंशन देने का दवाब बढ़ेगा या फिर सभी सांसद व विधायकों की पेंशन बंद हो जायेगी।
विपक्ष के धरना प्रदर्शन करके से आम जनता प्रभावित नही होगी
राजनीतिक जानकारो का मानना है कि विपक्षी दलों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाना अब पुरानी बात हो गयी है आम जनता इससे प्रभावित नही होती है, विपक्ष को जनता को अपनी तरफ ध्यान आकषित करने के लिए जरूरी है कि कुछ नया करना पड़ेगा, जैसे अग्रिवीरों के विरोध में अपनी पेंशन बंद करके जनता को यह संदेश दे सकती००. है कि देश की सुरक्षा करने वाले को जब पेंशन मोदी सरकार नही दे रही हे तो फिर हमें भी पेंशन ही चाहिए। वरूण गांधी ने जरूर अपनी पेशन छोडऩे की बात कह करके प्रदर्शनकारियों का ध्यान आकर्षित किया है लेकिन विपक्ष इस मामले पर क्यों पीछे है। जब जवान बगैर पेंशन के अपना घर चला सकता है तो नेता तो पांच सालों में मोटी कमाई कर लेता है तो फिर वह पेंशन क्यों नही चला सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार को भी इस बात का एहसास है कि विपक्ष ऐसा कोई कदम नही उठा सकता है, क्योकि उसे जनता की चिंता से ज्यादा अपनी सुविधाओं की चिंता है इसी का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार विपक्ष पर परिवार वाद का आरेाप लगा कर कांग्रेस को घेरने में कामयाब रही है।