रावण भरत मिलाप कराने वालों के कंधो पर है हिन्दुत्व बचाने की कमान
रामायण पर गृहमंत्री अमित शाह के नये ज्ञान की चर्चा चारों तरफ हो रही है
मोदी सरकार ने भारतीय इतिहास के नये नये शोध जारी है, पद्मश्री से सम्मानित अभिनेत्री कंगना राणावत ने देश को बताया कि 1947 को मिली आजादी भीख में मिली थी असली आजादी 2014 को मिली है, कंगना के इस नये शोध पर देश में चर्चा खत्म होने का नाम नही ले रही है उसी दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने रामायण में नयी शोध से देश की जनता को अवगत कराया है।
भगवान राम ने राम पर राजनीति करने वाले भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र में दिये गये रामायण ज्ञान की चर्चा राजनीतिक दलों के साथ ही आम जनता के बीच भी होने लगी है। जिसमें उन्होंनें कहा कि प्रभू श्रीराम भरत को भेजते हे कि रावण विद्वानजन हैं, और इन्होंने सुशासन के पाठ को जमीन पर उतारा है, सोने की लंका बनाई है, उससे तनिक जाकर सीख लो और उन्होंने बिना किसी झिझक के भरत को वह पाठ सिखाए थे। अमित शाह ने भरत और रावण का मिलन करा करके एक नयी रामायण की नींव रखी जिसको लेकर सवाल उठने लगे है, कि भगवान राम के नाम पर जनता को सिर्फ गुमराह करने वाले भाजपाईयों को रामायण की छोटी छोटी जानकारी भी नही मालूम है। ऐसे में किस तरह से सनातन धर्म सुरक्षित रह सकता है यह जरूर है कि भगवान राम के नाम पर भाजपाई अपनी सत्ता जरूर सुरक्षित रख सकते है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर विपक्ष को कोई नेता इस तरह का बयान दिया होता तो हिन्दू खतरे में आ गया होता लेकिन यह गलती हिन्दू बचाने का दावा करने वाले नेता द्वारा हुई है इसलिए हिन्दू धर्म बिलकुल भी खतरे में नही आने वाला है। इसी सम्मेलन में गृहमंत्री अमित शाह ने वीर सावरकर का भी उल्लेख करते हुए कहा कि वीर सावरकर नही होते तो हम अंगे्रजी बोल रहे होते, उन्होंने स्वभाषा और राजभाषा के लिए बहुत बड़ा काम किया है और हिन्दी शब्दकोष भी बनाया है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार गृहमंत्री अमित शाह को हिन्दी में वीर सावरकर के योगदान की बातें रामायण ज्ञान की तरह गलत तो नही है, जिस पर शोध होने लगे है, जल्द की इसकी सत्यता भी देश के समाने आ जायेगी।