पालघर में साधुओं के साथ हुई मारपीट के मामले पर हिन्दू संगठनों ने मोदी सरकार और एकनाथ शिेंदे सरकार से सवाल नही किया ?
महाराष्ट्र में भाजपा के विपक्ष में रहते 16 अप्रैल 2020 में पालघर में बच्चा चोरी के शक पर भीड़ ने साधु कल्पवृक्ष गिरी, सुशील गिरी के साथ उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाड़े की हत्या कर दी थी, जिस पर हिन्दू संगठनों और भाजपा ने जमकर हो हल्ला मचाया, गोदी मीडिया ने इसके लिए सोनिया गांधी से भी जवाब मांगा था। लेकिन भाजपा के सरकार में आने के बाद पालघर में यूपी के चार साधुओं के साथ एक बार फिर बच्चा चोरी के मामले पर ही भीड़ ने जमकर मार पीट की, लेकिन इस बाद हिन्दू संगठन साधुओं की चिंता के लिए सामने नही आया ओर ना ही किसी गोदी मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसके लिए जवाब मांगने का साहस किया। सवाल यह है कि क्या भाजपा सरकार में हिन्दुओं व साधु संतो पर अत्याचार सही है और विपक्षी सरकार में गलत है ऐसे में हिन्दूओं भला कैसे होगा? यह जरूर है इस तरह की राजनीति से भाजपा विपक्षी दलों को हिन्दू विरोध बता कर सत्ता पर पकड़ मजबूत कर रही हैै। शिवराज सिंह चौहान सरकार में बजरंग दल व विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में डंडे बरसाई लेकिन इस मुद्दे को भी हिन्दू संगठनों ने कुछ नही बोला।
सोनिया गांधी से सवाल पूछने वाला गोदी मीडिया प्रधानमंत्री से सवाल पूछने की हिम्मत जूटा पायेगा?
हिन्दुत्व की मजबूती के लिए शिवसेना का एक बड़ा हिस्सा टूट कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाया, लेकिन हिन्दुत्व को कितनी मजबूती मिली यह बात मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र व देश की जनता को नही बताया। लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार की तरह ही पालघर में बच्चा चोरी की शक पर लोगों द्वारा यूपी के चार साधओं के साथ मारपीट हुई, जिनका ताल्लुक यूपी से था। इसके बाद भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामल पर एकनाथ शिंदे के हिन्दुत्व पर सवाल नही उठा रहे है, जबकि मार खाने वाले साधु अपनी मारपीट की रिपोर्ट तक दर्ज नही करा सके। देश की जनता इस बात से अवगत है कि महाराष्ट्र में जब भाजपा विपक्ष में थी उस वक्त भी बच्चा चोरी की शक पर पालघर में कुछ इसी ही साधुओं के साथ मारपीट में तीन लोगों की मोत पर भाजपा ने गोदी मीडिया के साथ मिलकर जमकर राजनीति हुई थी। सवाल यह है कि भाजपा सरकार आने के बाद पालघर में यूपी के साधुओं के साथ मारपीट की घटना क्या सनातन संस्कृति या हिन्दुओं को एकजूटता प्रदान करता है इसलिए ना ही हिन्दू संगठन और ना ही गोदी मीडिया इस मामलेे को लेकर पूर्व की तरह चिंतित है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पालघर में यूपी के चार साधुओं के बच्चा चारे के शक पर मारे जाने के मामले पर चुप्पी यही संदेश दे रही है कि हिन्दू संगठन हिन्दुओं की लड़ाई ना लड़ करके भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे है। अगर ऐसा नही होता तो 2020 में पालघर घटना पर जिस तरह की राजनीति हुई थी उसी तरह की राजनीति या उससे ज्यादा होती क्योकि इस बार मार खाने वाले सांधु यूपी के रहने वाले है।