ढ़ाई ढ़ाई साल फार्मूला के सार्वजनिक होने के बाद थम नहीं रही गुटबाजी
छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले का सरकार के वरीष्ठ मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से विरोध करने के साथ यह कहना कि अगर फायरिंग हुई तो पहली गोली खाने वाले में मैं हुआ, बताता है कि ढ़ाई ढ़ाई साल फार्मूला के सार्वजनिक हो जाने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटबाजी अपने पूरे शबाब पर है। छत्तीसगढ़ राजनीति में जय वीरू से मशहूर यह जोड़ी में दरार लगातार बढ़ती जा रही है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। राज्य सभा की दोनों सीट बाहरी लोगों के दिये जाने के चलते बघेल सरकार पहले ही भाजपाईयों के निशाने पर है।
छत्तीसगढ़ में भी बढ़ रही है कांग्रेस की मुश्किलें
देश में कांग्रेस की मुश्किलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है, छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस की मजबूत सरकार होने के बाद भी कुर्सी की खींचतान जारी है। ढ़ाई ढ़ाई साल फार्मूला के सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस के अंदर ही एक दूसरे के निपटाने का जो खेल शुरू हुआ है, वह बढ़ता ही जा रहा है । राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी के ढुलमुल रवैया के चलते यह गुटबाजी विधान सभा चुनाव तक खत्म नही होने वाली है, विधान सभा चुनाव करीब आने पर इसमें भारी इजाफा जरुर हो सकता है । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी एस सिहदेव ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हसदेव अरण्य क्षेत्र में दो माइनिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने के बाद इसका विरोध होने लगा। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम सभा फर्जी है, जिस पर टी एस सिंगदेव का कहना है कि ग्रामीणों की बातों का भरोसा करते हुए ग्राम सभा की सत्यता की जांच की जाये। ज्ञात हो कि बैलाडिला में 13 डिपाजिट में फर्जी ग्राम सभा के आयोजन का खुलासा हो चुका है, इसलिए ग्रामीणों के आरोप की सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जनता के सामने स्थिति स्पष्ट करें, ताकि भ्रम की स्थिति खत्म हो सके। सिंहदेव का कहना है कि अगर कोयला की जरूरत है तो जंगल की जगह मैदानी इलाके से कोयला लिया जाये , हमारे पास तक 80 साल का कोल रिजर्व है, इसके अलावा 2030 तक बिजली उत्पादन में कोयला की निर्भरता खत्म करने वाले हैं , तो घने जंगलों को क्यों काटा जा रहा है, उन्होंने विरोध कर रहे लोगों को एकजुट रहने की सलाह देते हुए भरोसा दिलाया कि इस लड़ाई में वह उनके साथ हैं, गोली खाने में वह सबसे आगे रहेगें।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हसदेव के माध्यम से एक बार फिर टी एस सिंहदेव ने बघेल सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है, इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलती है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन उन्होंने जो सवाल उठाये है, उनका जवाब सरकार को देना चाहिए कि मैदानी इलाके से कोयला निकालने की जगह जंगल से क्यो कोयला निकाला जा रहा है।