May 2, 2025

हसदेव अरण्य की पर्यावरण स्वीकृति, हरिहर छत्तीसगढ़ योजना पर उठा रही है सवाल?

कांग्रेसी मंत्री के बाद भाजपा भी कांग्रेस को घेरने के लिए उतरी मैदान में

मोदी सरकार के लिए भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा विवाद जिस तरह से परेशानी का सबब इन दिनों बना हुआ है उसी तरह ही बघेल सरकार के लिए हसदेव अरण्य में कोयला खनन की मंजूरी देना मुश्किलें पैदा कर रहा है। एक तरफ जहां स्वास्थ्य मंत्री टीएम सिहदेव ने आंदोलनकारियों के साथ खडे होकर उनका हौसला बढ़ते हुए कहा कि वह पहली गोली खायेगें ? वही भाजपा भी छत्तीसगढ़ सरकार को घेरने की हर संभव कोशिश कर रही है, उनका कहना है कि बात बात में पत्र लिखने वाली केंद्र सरकार को पत्र लिखने वाले मुख्यमंत्री हसदेव कोल ब्लांक के निरस्त करने के लिए अभी तक पत्र क्यों नही लिखा है। तीन साल से रोकी गई पर्यावरण स्वीकृति को तीन महीनें मंजूरी प्रदान करके किसकों उपकृत करने की कोशिश की गई है। गौरतलब है कि हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के बीच हसदेव अरण्य में लाखों पेड़ो की कटाई की अनुमति देना सरकार की इस योजना पर सवाल उठता है।

हसदेव के माध्यम से सिंहदेव ने बघेल सरकार को घेरा

क्या बघेल मंत्रीमंडल टीएस सिंहदेव को बर्खास्त करेगा?

राजनीति में कौन सा मुददा गले की परेशानी का सबब बन जाये, कोई नही जानता है। हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली मोदी सरकार के लिए भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा का पैगंबर मोहम्मद पर की गयी विवादित टिप्पणी ने मोदी सरकार व पार्टी दोनों में ही उथल पुथल मचा रखी है जिसकों सुलझाने की हर संभव कोशिश की जा रही है, लेकिन विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। कुछ उसी तरह ही छत्तीसगढ़ की शांत राजनीति में बघेल सरकार के द्वारा हसदेव अरण्य में कोयला खनन की मंजूरी प्रदान करके राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुलकर सरकार के खिलाफ बगावती तेवर दिखाते हुए पहली गोली स्वयं खाने की बात करके ग्रामीणों में नई ऊर्जा का संचार किया है, उनका कहना है कि ग्रामीणों के फर्जी ग्राम सभा के आरोपों की जांच की जाये। गौरतलब है कि बैलाडिला में 13 डिपाडिज में भी फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से हजारों पेड़ो की कटाई की कई गई लेकिन विरोध के चलते कटाई बंद करके के साथ ग्रामसभा की जांच करने पर पता चला की वह फर्जी है। कही इसी तरह की घटना हसदेव अरण्य में तो नही हुई है, क्योकि सरकार ने पर्यावरण मंजूरी जिस आनन फानन में दी है उससे सवाल तो गहराने लगा है। जिसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश में भाजपा भी इस मुद्दे पर पूरी तरह से आक्रामक नजर आ रही है। भाजपा को वरीष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल व केदार कश्यप ने बघेल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा सरकार से सवाल किया है कि क्या हसदेव के जंगल राज्य सरकार के पर्यावरण स्वीकृति के बिना जंगलों की कटाई व कोयले की खोदाई हो सकती है? विदेशों में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहुल गांधी कह रहे है कि हसदेव अरण्य की जंगल की कटाई के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई अनुमति के पक्ष मेंं नही हूं। तो सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी को नजरअदांज करके यह पर्यावरण स्वीकृति दी गई है, ऐसे में क्या राहुल गांधी भूपेश बघेल को हटायेगें? मंत्री सिंहदेव कर रहे है कि पहली गोली खाऊंगा, अगर वह भूपेश मंत्रीमंडल के फैसले से खुश नही है तो मंत्री पद से इस्तीफा देकर आंदोलनकारियों के साथ हिम्मत से लड़ाई क्यों नही लडते है या बघेल मंत्रीमंडल के विरूद्ध जाने पर उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त क्यों नही कर देते है। राजनीति और विरोधों के बीच पेड़ों की कटाई का काम भी जारी है, 26 अप्रेल को पेड़ो की पहली कटाई के बाद प्रशासन दूसरी बार फिर से पेड़ो की कटाई की है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हसदेव अरण्य में पर्यावरण को मंजूरी के साथ ही प्रशासन का चुपके से पेड़ों की कटाई करना यही संदेश दे रहा है कि दाल में कुछ काला है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर की बोधघाट परियेाजना को लेकर कहते है कि जनता को मंजूरी के बगैर परियोजना का काम शुरू नही होगा लेकिन दूसरी तरफ हसदेव की उनकी सरकार ही ग्रामीणों के विरोध के पूरी तरह से नजरअंदाज करके चुपके से पेड़ो की कटाई कर रही है, जिससे सवाल गहराने लगा है कि आखिर सरकार को इस योजना पर क्यो इतनी रूचि है? जिसके चलते ही भाजपा नेता कह रहे है कि तीन साल से रोकी गयी पर्यावरण मंजूरी केा तीन महीने में स्वीकृति प्रदान करके किसकों उपकृत किया गया है? इस परियोजना से सरकार की हरिहर छत्तीसगढ़ योजना पर भी सवाल गहराने लगेगा कि एक तरफ सरकार पेड़ो की कटाई गुपचुप तरीके से कर रही है और दूसरी तरफ पौघा रोपण कर प्रदेश को हरा भरा बनाने की बात कह रही है।

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