May 1, 2025

दुनिया में आधे से ज्यादा गरीब भारत मेंं बने कोरोना काल में

लॉकडाउन लगाने से पूर्व कोई विचार विमर्श हुआ था इस पर सस्पेंस बरकरार है
प्यू रिसर्च की रिपोर्ट भी मोदी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रही है

फीड़म हाउस और स्वीडन की वी डेम इंस्टीट्यूट की लोकतंत्र में गिरावट की रिपोर्ट आने के बाद, कोरोना के दौरान लोगों की अर्थिक हालातों के संबंध मेेंं जारी प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में सार्वजनिक हो गयी हैै जिसमें बताया गया है कि कोरोना काल में भारत में साढ़े सात करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गये है। मोदी सरकार कोरेाना की लड़ाई में अपनी पीठ तो जरूर थपथपा रहे है लेकिन इस रिपोर्ट ने एक बार फिर साबित कर दिया कि दुनिया के मामले भारत में कितने कमजोर तरीके से कोरोना की लड़ाई लड़ी गयी कि इस दौरान दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब भारत में ही बने।
प्यू रिसर्च की रिपोर्ट मेें कोरोना काल 2020 में दुनिया भर में लगभग 13 करोड़ मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के लोग गिरकर गरीबी रेखा के नीचे आ गये। रिपोर्ट में गरीबी प्रतिदिन 145 रूपये से कम कमाने वालों को गरीब माना गया है। जिसमें 7.50 करोड़ लोग सिर्फ भारत से है। गौरतलब है कि दुनिया की आबादी में भारत का हिस्सा 18 प्रतिशत है परंतु कोरोना में गरीबी के मामले पर भारत का हिस्सा 57 प्रतिशत होना निश्चित ही मोदी सरकार की कोरोना के खिलाफ लड़ी जंग पर सवाल उठाता है। देश मेें लॉकडाउन लगाने से पूर्व 12.5 करोड़ लोग ऐसे परिवार में रहते थे जिसे संपन्न परिवार कह सकते थे,जिसकी मासिक आय एक लाख रूपये से अधिक थी, पिछले वर्ष यह घटकर 8.5 करोड़ हो गयी है। सवाल यह है कि मोदी सरकार कोरोना की लड़ाई शानदार तरीके से लडऩे का दावा तो करती है कि समय पर लॉकडाउन नही लगाया होता तो हालात और भी खराब होते लेकिन प्यू रिसर्च की रिपोर्ट यह संदेश दे रही है कि मोदी सरकार ने कोरोना की लड़ाई में देश मेें गरीबों की संख्या में भारी इजाफा कर दिया। वही दूसरी तरफ अभी तक यह स्पष्ट नही हो सका है कि लॉकडाउन लगाने से पूर्व क्या कोई सलाह मशवरा या विशेषज्ञों की किसी भी प्रकार की सलाह ली गयी थी। मोदी सरकार 80 करोड़ लोगों का मुुफ्त राशन देने का श्रेय तो लेते है लेकिन देश में गरीबी का इजाफा करने का श्रेय भी उन्हें लेना चाहिए। ज्ञात हो कि दुनिया के अन्य देशों ने भी कोरोना से लड़ाई लड़ी लेकिन जिस पैमाने पर देश में गरीबी बढ़ी वैसे अन्य देशों में क्यो नही बढ़ी। यह ऐसा सवाल है जिस पर मंथन आने वाले समय में भी जारी रहेगा क्योकि कोरोना के खिलाफ जंग अभी जारी है।

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