इंडोनेशिया ने भारत से ज्यादा राफेल विमान कम दाम पर खरीदकर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाई

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार चुनाव प्रचार में व्यस्त है ऐसे वक्त पर एक बार फिर राफेल खरीदी का मामला सुर्खियों में छा गया है। इंडोनेशिया ने फ्रांस के साथ हुए समझौतों पर हस्ताक्षर की पृष्टि करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित जेट पर भरोसा करने वाला दूसरा देश बन गया है। इस लडाकू विमान में हवा से जमीन में मार करने वाले स्कैल्प और हैमर मिसाइल के साथ साथ मेटेअर मिसाइलों को पहले ही शामिल किया जा चुका है। ये मिसाइलें रडार को चकमा देकर बच निकलने में सक्षम है। ये विमान अंतिम समय पर टारगेट को भेदने में भी माहिर है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय यह बना है कि इंडोनेशिया ने 42 राफेल का सौदा 8.1 अरब डॉलर में किया जबकि मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान 8.7 अरब डालर में खरीदा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में दुनिया के सभी हिस्सों में महंगाई का असर के बाद भी इंडोनेशियां ने भारत से ज्यादा राफेल विमान कम रेट पर खरीद कर कही ना कही मोदी सरकार के राफेल सौदे पर संदेश खड़ा कर दिया है। कांग्रेस जिसको लेकर मोदी सरकार को लम्बे समय से घेर रही है।
राफेल सौंदे की जांच फ्रांस में हो रही

यूपी सहित अन्य राज्यों के चुनाव के पूर्व इंडोनेशिया के द्वारा राफेल खरीदी का सौदा के माध्यम से एक बार फिर कांग्रेस मोदी सरकार को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से गूरेज नही करेगी, क्योकि दुनिया में बढ़ती महंगाई के बाद भी इंडोनेशिया ने ईमानदार मोदी सरकार से ज्यादा राफेल विमान कम दरों में कैसे खरीद लिया। यह तो हर भारतवासी भी जानना चाहता है।