May 1, 2025

राफेल विवाद और मोदी सरकार का गठबंधन गहराता जा रहा है

इंडोनेशिया ने भारत से ज्यादा राफेल विमान कम दाम पर खरीदकर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाई

राफेल विवाद मोदी सरकार का पीछा नही छोड़ रहा है। विधानसभा चुनाव के पूर्व एक बार फिर राफेल विवाद सुर्खियों में आ गया है। इंडोनेशिया ने भारत की ही तरफ फ्रांस से 42 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया है, यह डील 8.1 अरब डॉलर की है। वही मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान 8.7 अरब डॉलर में खरीदा है। जिससे एक बार फिर मोदी सरकार पर राफेल डील में भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप गहरा गया है। ज्ञात हो कि राफेल डील की जांच फ्रांस सरकार के द्वारा करायी जा रही है, लेकिन भारत में राफेल डील का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा लेकिन तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की बेंच ने याचिका को खारिज कर सरकार को एक तरह से क्लीन चिट दे दी। इसके बाद भी मोदी राफेल विवाद मोदी सरकार का पीछा छोड़ता दिखाई नही दे रहा है।
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार चुनाव प्रचार में व्यस्त है ऐसे वक्त पर एक बार फिर राफेल खरीदी का मामला सुर्खियों में छा गया है।  इंडोनेशिया ने फ्रांस के साथ हुए समझौतों पर हस्ताक्षर की पृष्टि  करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित जेट पर भरोसा करने वाला दूसरा देश बन गया है। इस लडाकू विमान में हवा से जमीन में मार करने वाले स्कैल्प और हैमर मिसाइल के साथ साथ मेटेअर मिसाइलों को पहले ही शामिल किया जा चुका है। ये मिसाइलें रडार को चकमा देकर बच निकलने में सक्षम है। ये विमान अंतिम समय पर टारगेट को  भेदने में भी माहिर है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय यह बना है कि इंडोनेशिया ने 42 राफेल का सौदा 8.1 अरब डॉलर में किया जबकि मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान 8.7 अरब डालर में खरीदा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में दुनिया के सभी हिस्सों में महंगाई का असर के बाद भी इंडोनेशियां ने भारत  से ज्यादा राफेल विमान कम रेट पर खरीद कर कही ना कही मोदी सरकार के राफेल सौदे पर संदेश खड़ा कर दिया है। कांग्रेस जिसको लेकर मोदी सरकार को लम्बे समय से घेर रही है।

राफेल सौंदे की जांच फ्रांस में हो रही

फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन को करीब 7.5 मिलियन यूरों  का भुगतान किया था, लेकिन भारतीय एजेंसियां, दस्तावेज होने के बावजूद भी जांच करने में नाकाम रही। फ्रेंच पोर्टल मीडियापार्ट के रिपोर्ट के बाद भारत में कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गयी थी।  पोर्टल का कहना है कि दस्तावेजों की मौजूदगी के बावजूद सीबीआई और ईडी के पास अक्टूबर 2018 से सबूत थे, कि दसॉल्ट ने राफेल जेट की बिक्री सौदे में हासिल करने के लिए सुशेन गुप्ता को घूस दी है।
यूपी सहित अन्य राज्यों के चुनाव के पूर्व इंडोनेशिया के द्वारा राफेल खरीदी का सौदा के माध्यम से एक बार फिर कांग्रेस मोदी सरकार को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से गूरेज नही करेगी, क्योकि दुनिया में बढ़ती महंगाई के बाद भी इंडोनेशिया ने ईमानदार मोदी सरकार से ज्यादा राफेल विमान कम दरों में कैसे खरीद लिया। यह तो हर भारतवासी भी जानना चाहता है।

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