नॉन घोटाले को कमजोर करने के आरोप कांग्रेस सरकार पर लगने के बाद भी फिर विधायकों का दिल्ली दौरा हुआ शुरू
ढ़ाई ढ़ाई साल का फार्मूला राहुल गांधी के लिए सरदर्द बन गया है
पंजाब में कांग्रेस के अंदर घमासान मचा हुआ है जिसका अभी कांग्रेस आलाकमान हल नही खोज पाया है, नॉन घोटालेें में बघेल सरकार को भाजपा द्वारा खड़ा करने के बीच दौरान छत्तीसगढ़ के 15 विधायकों के अचानक दिल्ली जाने प्रवास से एक बार फिर राजनीति गर्मा गयी है। गौरतलब हेै कि पूर्व में कांग्रेस के 40 से अधिक विधायक दिल्ली गये थे। विधायकों का दिल्ली प्रवास यह संकेत दे रहा है कि ढ़ाई ढ़ाई साल वाला फार्मूला ने कांग्रेस के अंदरूनी राजनीति में घमासान मचाये हुए है। वर्तमान सरकार इस विवाद से निकालने की हर संभव कोशिश कर रहे है लेकिन अभी तक इस समस्या का हल नही निकल पाया है।
कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह का छत्तीसगढ़ के 15 विधायकों के साथ दिल्ली प्रवास ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की राजनीति में गरमाहट पैदा कर दी है। वृहस्पति सिंह वही विधायक है जिन्होंने पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर मारने का आरोप लगाया था और मामला आगे बढऩे पर विधानसभा में मांफी मंागी थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधायकों व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का हर दिल्ली प्रवास से छत्तीसगढ़ की राजनीति में सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है। इस भ्रम की स्थिति का निराकरण करने के लिए जरूरी है कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ जनता को स्पष्ट करें कि ढ़ाई ढ़ाई साल वाला कोई फार्मूला सत्ता सौपने से पहले तय हुआ या नही। क्योकि इस मामले पर कांग्रेस के अन्य नेताओं की बयानबांजी पर लोगों को विश्वास खत्म हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब में चल रही घमासान का फायदा उठाते हुए बघेल के करीबी विधायकों का कहना है कि अगर राज्य में नेत्त्व परिवर्तन होता है तो पंजाब और राजस्थान जैसे हालात यहां भी हो जायेगें। वही दूसरी तरफ टीएस सिंहदेव सीएम के अतिरिक्त किसी और पर राजी नही है। सवाल यह है कि आलाकमान पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद जो हालत पैदा हुए है क्या छत्तीसगढ़ में भी सत्ता परिवर्तन के बाद उसी तरह के हालात से गुजरने से बचने के लिए ढ़ाई ढ़ाई साल वाले फार्मूले से पीछे हट जायेगें। भाजपा पहले ही आरोप लगा चुकी है कि भूपेश बघेल जब कांग्रेसियों के नही हुए तो आम जनता के क्या होगें।
नॉन घोटाले की आरोप की बांजी पटली
प्रवर्तन निदेशालय ने फरवरी 2020 में आयकर की छापेमारी के दौरान एकत्र किए गये कुछ सबूत और बातचीत के ट्रंास्क्रिप्शन सिलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में सौंपे है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामें में कहा है कि इस ट्रंासक्रिप्ट मैसेज से साफ है कि नान घोटाले में छत्तीसगढ़ में सत्ता का दुरूपयोग किया गया है,साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई है गवाहों को प्रभावित किया गया है। साथ ही नॉन घोटाले की जांच कमजोर करने का भी आरोप लगाया है। जिसके बाद से नॉन घोटाला एक बार फिर छत्तीसगढ़ की राजनीति में सुर्खियों मेंं आ गया है। कभी इस घोटाले का उपयोग कांग्रेस भाजपा को घेरने के लिए करती थी लेकिन आज उसी घोटाले का उपयोग कांग्रेस को घेरने के लिए भाजपा कर रही है।