May 1, 2025

विपक्ष से ज्यादा खतरनाक फ्रांसीसी बने मोदी सरकार के लिए

राफेल जांच के बाद रिपोर्ट गैलरी ऑफ ग्रिम पोट्रेट में भी नरेंद्र मोदी की इमेज का नुक्सान पहुंचाया
भारत और पाकिस्तान दोनों को लाल रंग में रखा

विपक्ष की तरह ही फ्रांसीसी भी मोदी सरकार को बदनाम करने में लगे नजर आ रहे है, राफेल सौंदे में भ्रष्टचार की जांच करा करके पहले भी फ्रांस सरकार मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, अभी यह मामला सुर्खियो मेें छाया हुआ ही था कि फ्रांसीसी मीडिया निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने पांच साल बाद जारी अपनी रिपोर्ट गैलरी ऑफ ग्रिम पोट्रेट में ऐसे 37 देशों के नेताओं का उल्लेख किया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है, जो प्रेस की आजादी पर लगातार हमले कर रहे है। आशा के अनुरूप ही केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इस फ्रंासीसी रिपोर्ट को आधारहीन बता कर खारिज कर दिया है वही भाजपा नेता ने पक्षपातपूर्ण और पूर्वाग्रह से प्रेरित बता दिया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा वाली रिपोर्ट होती तो उसका आधार तलाश करने का प्रयास ना ही गोदी मीडिया करता और ना ही सरकार, भाजपाई तो खुशी से फुले ही नही समातें।
मोदी सरकार को इन दिनों देश का विपक्ष से ज्यादा खतरनाक फ्रांसीसी दिखाई दे रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात सालों में दुनिया में जो भारत का गौरव बढ़ाया है शायद उसके जलते हुए फ्रांसीसी इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा करने शायद बदनाम करने में लगे है। मोदी सरकार ने देश में राफेल सौंदे का विवाद राष्ट्रभक्ति व पाकिस्तान के हितैषी होने का हवाला देकर खत्म कर दिया था लेकिन फ्रंास सरकार एक एनजीओं की शिकायत पर इस सौंदे की जांच को अनुमति देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास किया। इसके तत्काल बाद प्रेस की आजादी पर हमला करने वाली इस फ्रांसीसी रिपोर्ट जिसमें इस बार 17 नये चेहरों को शामिल किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाम भी शामिल करके उनकी इमेज को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गैलरी में उन शासन प्रमुखों को शामिल किया गया है जो सेंसरशिप वाले तौर तरीके अपनाते है, मनमाने तरीकों से पत्रकारों को जेल में डालते हैं उनके खिलाफ हमलों को बढ़ावा देते हैं. यह सब अक्सर परोक्ष तरीके से होता है और इनका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलना होता है। इस रिपोर्ट में भारत के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश को भी लाल रंग में दिखा कर यह बताया गया है कि यहां पर प्रेस की स्वतंत्रता की हालत बुरी है। सऊदी अरब और ईरान को काला रंग में दिखा कर यह संदेश दिया गया है कि यहां की हालात और भी खराब है। गौरतलब है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में लगातार पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है, 2017 में भारत 136 वें स्थान पर था जो 2018 में 138 वें स्थान पर पहुंच गया, वर्ष 2019 में 140 स्थान पर और 2020 में 142 स्थान पर पहुंचना इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांसीसी रिपोर्ट गैलरी ऑफ ग्रिम पोट्रेट में शामिल होने का खतरा साल दर साल लगातार बढऩे के बाद भी उसे रोकने का प्रयास नही किया और आज जब इस रिपोर्ट में शामिल हो गये तो उसे भाजपा व मोदी सरकार खारिज करके अपना पल्ला झाडऩे का प्रयास कर रही है।

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