विशेष राज्य का दर्जा और जातिगत जनगणना की मांग को मोदी सरकार ने खारिज किया
जेडीयू गठबंधन से बाहर नही निकली तो उसके खत्म होने का खतरा पैदा हो जायेगा
बिहार में एनडीए गठबंधन में खतरे के बादल मंडराने लगे है, मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की जाति जनगणना की मांग को मोदी सरकार द्वारा खारिज कर दिये जाने से बिहार में नीतिश कुमार की साख पर जबरदस्त धक्का लगा है। इसके कुछ दिनों बाद ही जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अपनी मांग को भी ठंडे बस्ते में डालने का फैसला लिया है जो स्पष्ट करता है कि बिहार में जेडीयू और भाजपा के बीच दरार बढ़ती जा रही है, क्योकि नीतिश कुमार की हर मांग को मोदी सरकार खारिज करने पर तूली दिखाई दे रही है। बिहार के वरिष्ठ मंत्री ब्रिजेन्द्र यादव ने कहा कि सात आठ सालों से लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग कर रहे है लेकिन इसके बाद भी उनकी यह मांग नही सूनी जा रही है इसलिए इस मांग को छोड़ दिया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार में भाजपा जेडीयू गठबंधन की सरकार होने के बाद भी मोदी सरकार बिहार केा विशेष राज्य का दर्जा नही देने से बिहार सरकार के साथ ही मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की भी आम जनता के बेइज्जती हो रही है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी नीतिश कुमार की मांग को मोदी सरकार गंभीरता से नही ले रही है। ज्ञात हो कि जातिगत जनगणना को लेकर भी बिहार सरकार के साथ ही मुख्यमंत्री नीतिश कुमार लम्बे समय से मांग करने के साथ ही दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलने के बाद भी उनकी मांग को खरीज कर दिये जाने से स्पष्ट संदेश बिहार की जनता में गया कि कि नीतिश कुमार सिर्फ नाम के ही मुख्यमंत्री है, उनकी किसी भी मंाग को मोदी सरकार ध्यान नही दे रही है,, नीतिश कुमार में पेगासस जासूसी मामले की जांच कराने की बात भी कही थी। बिहार में गिरते ग्राफ को बचाने के लिए जरूरी है कि नीतिश कुमार बिहार में भाजपा का दामन छोड़ कर अपनी अलग पहचान बनायें और जनता को यह संदेश दे कि अगर उनकी मांगों को मोदी सरकार गंभीरता से नही लेगी तो बिहार में वह भाजपा के साथ किसी भी कीमत पर नही रहेगें। क्या आने वाले दिनों में जेडीयू ऐसा कोई संदेश देगी या कुर्सी के लिए आगे भी बिहार की जनता को हितों को नजरअंदाज करती रहेगी?