विधानसभा चुनाव में हार से निराश कांग्रेसियों ने लिए खैरागढ़ की बड़ी जीत भर सकती है नई ऊर्जा
यूपी विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रभारी होने के साथ ही प्रियंका गांधी की अथक मेहनत के बाद भी कांग्रेस के ना विधायक बढ़े और ना ही वोट प्रतिशत। विपक्ष मुख्यमंत्री सहित उन सभी कांग्रेसी नेताओं पर भी सवाल उठा रहा है जो यूपी में चुनाव प्रचार करने गये थे। यूपी हार से छत्तीसगढ़ कांग्रेसियों के जहां फिर से यूपी में कांग्रेस के मजबूत होने के सपनों पर पानी फेर दिया है वही भाजपा नेताओं इस जीत से बेहद उत्साहित है। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद छत्तीसगढ़ में 12 अप्रैल को होने वाले खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में निराश कांग्रेसी नेताओंं में उत्साह का संचार करने के लिए एक बड़ी जीत की जरूरत है वही भाजपा के पास ही अहम मौका है कि यूपी, पंजाब की हार से निराश कांग्रेसियों के हौसलों को यह उपचुनाव जीत कर और कमजोर करें। तीन साल के बाद हो रहा यह उपचुनाव छत्तीसगढ़ मांडल का सबसे बड़ा इंतहान के तौर पर भी देखा जा रहा है।
भाजपा चुनाव जीत कर निराश हो चुके कांग्रेसियों के हौसले तोड़ सकती है
विधानसभा चुनाव 2018 में बेहद कांटे की टक्कर में जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी देवव्रत सिंह ने भाजपा के प्रत्याशी कोमल जंघेल को एक हजार से भी कब मतों से पराजित कर यह सीट जीती थी, दिल का दौरा पडऩे से उनका निधन होने के बाद यह सीट खाली हो गयी। विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस के बेहद लचर प्रदर्शन के साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यूपी चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी होने के चलते यूपी चुनाव के परिणामों्र भी छत्तीसगढ़वासियों की नजर थी, क्योकि यूपी चुनाव में भी छत्तीसगढ़ मॉडल की बहुत चर्चा होने के बाद भी वहां की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है वही प्रियंका गांधी ने भी जमकर पसीना बहाया, इसके बाद भी कांग्रेस स्वतंत्रत भारत के इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन किया है, जिसके चलते छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी नेता इन दिनों भाजपा नेताओं के निशाने पर है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी एतिहासिक हार से कांग्रेसियों के हौसले पस्त हो गये है। खैरागढ़ में होने वाले उपचुनाव में एक बड़ी जीत ही कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर सकती है कि पंजाब में जरूर कांग्रेस सत्ता की वापसी नही कर सकी, लेकिन छत्तीसगढ़ में जरूर कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है। वही दूसरी तरफ ढ़ाई ढ़ाई साल के सीएम पद के फार्मूले के चलते पहले ही कांग्रेस के अंदरूनी लड़ाई सार्वजनिक हो चुकी है, ऐसे हालातों में खैरागढ़ का चुनाव परिणाम कांग्रेसियों के लिए जितना अहम है उतना ही भाजपा के लिए भी अहम है। इस उपचुनाव से प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की भी रणनीति क खुलासा हो जायेगा, क्योकि छत्तीसगढ भाजपा को मजबूत करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, अगर उनके नेत्त्व में खैरागढ़ विधानसभा का चुनाव भाजपा जीत जाती है तो निश्चित ही भाजपा कार्यकर्ताओ में नये उत्साह का संचार होने के साथ ही उनके नेत्त्व में छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी, साथ ही निराश कांग्रेसियों में हौसलें में और कमी आ जायेगी। बस्तर के दोनों उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने में सफल रही है, यह चुनाव जीत कर कांग्रेस उपचुनाव जीतने की हैट्रिक पूरी कर सकती है।