May 2, 2025

शराब से ज्यादा खतरनाक है ध्रुवीकरण की राजनीति अन्ना हजारे जी!

 ध्रुवीकरण पर अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री को दिल्ली सरकार की तरह सक्त चिट्ठी नही लिखी?

दिल्ली की आबकारी नीति में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच चल रही घमासान में अन्ना हजारे की एंट्री ने सवाल खड़ा कर दिया है्र, क्या भाजपा के इशारे पर काम करते है? अन्ना हजारे ने दिल्ली सरकार को लिखी चिढ्ठी में कहा है कि आप भी सत्ता के नशे में डूब गए, एक बड़े आंदोलन से जन्मी एक पार्टी के लिए यह शोभा नही देता है। सवाल यह है कि देश में महंगाई ओर बेरोजगारी अपने चरम पर होने के साथ ही ध्रुवीकरण की राजनीति को बोल बाला होने के बाद भी अन्ना हजारे ने कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली सरकार की तरह सक्त चिट्ठी नही लिखी, जबकि मोदी सरकार को लाने में अन्ना हजारे के आंदोलन की भी अहम भूमिका है। जिसके चलते यह सवाल उठता है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आम जनता के लिए काम करते है या भाजपा के लिए।

मोदी सरकार आने के बाद अन्ना हजारे आम जनता की समस्यों को भूला दिया

मोदी सरकार आने के बाद देश में ध्रुवीकरण की राजनीति अपने चरम पर होने के बाद भी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के द्वारा इसकों लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली सरकार की तरह कोई चिट्टी नही लिखी, जबकि ध्रुवीकरण की राजनीति दिल्ली सरकार की आबकारी नीति से ज्यादा खतरनाक है। महाराष्ट्र में शिवसेना का विभाजन हिन्दुत्व के मजबूती के नाम पर भाजपा ने पर्दे के पीछे से किया, इसके अलावा महंगाई, व बेरोजगारी के साथ ही मोदी सरकार में होने वालें आंदोलनों को भी देशद्रोही बताया जाता है। लेकिन लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने इन सभी मुद्दों को लेकर कोई चिट्ठी नही लिखी कि क्या इसके लिए ही भाजपा को देश की जनता से सत्ता सौपी है। वही दूसरी तरफ दिल्ली सरकार की आबकारी नीति पर भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे को घेरने की कोशिश में लगे है, जिसमें भाजपा का पलड़ा कमजोर होने पर अन्ना हजारे की आबकारी नीति पर दिल्ली सरकार का पत्र लिखने से यही संदेश गया कि केजरीवाल को घेरने के लिए भाजपा ने अपने सबसे मजबूत अस्त्र अन्ना हजारे का उपयोग किया, लेकिन यह अस्त्र काम करेगा इसकों सवाल है क्योकि अन्ना हजारे पर मोदी सरकार आने के बाद चुप्पी साध लेने को कांग्रेसी नेता हमेशा निशाने पर लेते रहे है, आम आदमी पार्टी की आबकारी नीति पर निशाना बनाने से वह अब आम आदमी पार्टी के निशाने पर भी आ गये है। जो यही संकेत दे रहा है कि कांग्रेस सरकार में जिस उंचाईयों तक अन्ना हजारे पहुंचे थे उसमें गिरावट का दौर जारी है, क्योकि वह आम जनता के लिए नही मोदी सरकार के लिए ज्यादा चिंतित है। उन्होंने दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में कहा कि आपने स्वराज नाम की किताब में कितनी आदर्श बातें लिखी थी, आप से बड़ी उम्मीद थी लेकिन लगता है कि राजनीति में जाने और मुख्यमंत्री बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा को भूल गए हैं। जिस प्रकार शराब का नशा होता है उसी प्रकार सत्ता का भी नशा होता है आप भी ऐसी सत्ता के नशे मेे डूब गए हो, ऐसा लग रहा है।

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