आर्थिक नाकेबंदी के बगैर नक्सली समस्या का अंत नही
नक्सलियों ने ठेकेदार अजय की जगह क्या सब इंजीनियर अजय लाकड़ा को उठया, यह ऐसा सवाल है जो चर्चा का विषय बन गया है। मिली जानकारी के अनुसार अजय लाकड़ा का आईडी कार्ड पीएमजीएसवॉय मुख्यालय रायपुर में बनवाकर भेजा गया, जिसे मध्यस्थों के माध्यमों से नक्सलियों तक पहुंचाया गया जिसके बाद ही सब इंजीनियर को छोड़ा गया। सवाल यह है कि नक्सली सड़क निर्माण कर रहे ठेकेदार अजय को अपहरण कराना चाहते तो निश्चित ही इस खुलासे के बाद नक्सली क्षेत्रों में ठेकेदार को आने वाले दिनों में काम करना और मुश्किल हो जायेगा। या फिर सिर्फ ठेकेदारों में दहशत पैदा करने के लिए नक्सलियों ने इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया ताकि नक्सली क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यो के माध्यम से उगाही की जा सके।
बस्तर की नक्सली समस्या का खात्मा करने के लिए जरूरी है कि नक्सलियों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर लगाम लगायी जाने की ठोस रणनीति बनायी जायें, लेकिन प्रशासन सिर्फ पुलिस कैंप स्थापित करके नक्सली समस्याओंं का समाधान करना चाहता है। राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि जब तक नक्सली आर्थिक उगाही करने में कामयाब होते रहेगें तब तक नक्सली समस्या का समाधान नही हो सकता है, क्योकि देश सहित बस्तर में भी युवा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे है। इसलिए पैसों के उगाही के लिए युवा पीढ़ी नक्सली बनने से भी गूरेज नही करेगी। सरकार नक्सलियो की आर्थिक नाकाबंदी करने के लिए क्या रणनीति बना रही है? गौरतलब है कि लम्बे समय से आर्थिक नाकेबंदी को लेकर योजना तो बनती है लेकिन धरातल में कामयाब नही हो पाने के कारण बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती के बाद भी यह समस्या बनी हुई है।
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