15 साल धर्मांतरण को भूला देने वाली भाजपा धर्मांतरण को लेकर इन दिनों भारी चिंतित नजर आ रही है
भाजपा बस्तर में आने खोये हुई जमीन को वापस पाने के लिए धर्मांतरण के मुद्दे को जम कर हवा दे रही है, जबकि यह स्पष्ट हो चुका है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दौरान ही सर्वाधिक चर्चाे को निर्माण किया गया था, क्योकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भाजपा सरकार में सर्वाधिक चर्चा निर्माण के आरोप का पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खंडन नही किया है जो साबित करता है कि भाजपा सत्ता में काबिज होने के बाद कही ना कही धर्मांतरण को बढ़ावा देने का ही काम कर रही थी, हिन्दू संगठन के नेताओं के द्वारा विरोध करने के बाद भी भाजपा नेताओं ने उसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। ढ़ाई साल गुजर जाने के बाद भी भाजपा को मोदी सरकार की कार्यशैली के कारण कोइ बड़ा मुद्दा नही मिला तो धर्मांतरण के मुदृदे को हवा देने की कोशिश करने लगी। चिंतन शिविर में भी धर्मांतरण के मुद्दे को हवा दी गयी, वही केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री रेणुका सिंह ने कांग्रेस पर वोट बढ़ाने के लिए राज्य में धर्मांतरण का बढ़ावा देने की बात कही, लेकिन यह स्पष्ट करने में सफल नही हो सकी कि भाजपा के 15 सालों में हुए धर्मांतरण को बढ़ावा क्या भाजपा के वोट बैंक को बढ़ाने के लिए किया गया था या कांग्रेेस के वोट बैंक को बढ़ाने के लिए जिसके चलते बस्तर से भाजपा का पूरी तरह से सफाया हो गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि धर्मांतरण का मुद्दा भाजपा को पूर्व की तरह तुरूप का एक्का साबित नही होने वाला है, क्योकि जोगी सरकार में धर्मांतरण का मुद्दा को हवा देकर इसका लाभ उठा चुकी है लेकिन अपनी सरकार में इस मुद्दे को पूरी तरह से रसातल में डाल दिया था, लेकिन सत्ता जाने के बाद एक बार फिर धर्मांतरण की याद आ रही है, क्योकि केंद्र में मोदी सरकार होने के कारण राज्य भाजपा के पास महंगाई, बेरोजगारी, किसान व आम जनता से जूडे जरूरी मुद्दे पूरी तरह से बेकार हो चुके है इसलिए जिस तरह से उत्तरप्रदेश की चुनावी वैतारणी को पार कराने के लिए भाजपा भगवान राम का सहारा ले रही है उसी तरह ही आदिवासी क्षेत्रों में अपने खोये जनाधार को पुन: स्थापित करने के लिए धर्मांतरण का सहारा ले रही है।
मोदी सरकार की नीतियों के चलते भाजपा के पास नही है कोई मुद्दा