ध्रुवीकरण की राजनीति का तोड़ धान का समर्थन मूल्य बढ़ा कर निकाला
भाजपाई 25 सौ का तोड़ नहीं निकाल पाये तीन साल में, 28 सौ का कैसे निकाल पायेगें
छत्तीसगढ़ में भाजपा की 15 साल की सत्ता को उखाड़ फेंकने में किसानों की अहम भूमिका थी, क्योंकि कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर 25 सौ रूपये में धान खरीदेगें, विधानसभा चुनाव धान खरीदी के वक्त हो रहे थे, किसानों ने लैम्पस में धान बेचना बंदकर स्पष्ट संकेत दिये कि भाजपा की सत्ता जाने वाली है और जब परिणाम आया तो भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया। भाजपा ढेड़ दर्जन से भी कम सीटों पर सिमट गई। एक बार फिर कांग्रेस सरकार ने आगामी चुनाव में भाजपा को हराने के लिए 28 सौ में धान खरीदने की घोषणा करके भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है। भाजपा आगामी चुनाव धर्मांतरण को मुद्दा बना कर सत्ता पाने के सपने देख रही है, बस्तर में आयोजित चिंतन शिविर में भी धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा इस बात का प्रमाण था कि बस्तर में अपने खोये जनाधार का धर्मांतरण मुद्दे के सहारे पाना चाहती थी। दूसरी तरफ कवर्धा में हुए हिन्दू मुस्लिम विवाद को भी राजनीति पंडित राज्य में ध्रुवीकरण की राजनीति से जोड़ रहे हैं जिसके सहारे भाजपा काऊ बेल्ट में चुनाव जीतने में सफल हो रही है। छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद अभी तक ध्रुवीकरण की राजनीति का सहारा भाजपा ने नहीं लिया था, यह जरूर है कि जोगी सरकार में भी धर्मांतरण को भाजपा चुनावी मुद्दा जरुर बनायी थी लेकिन वर्तमान समय की तरह विवाद उस वक्त नही होते थें।
धुर्वीकरण की राजनीति का काट खोज निकाला कांग्रेस ने
कांग्रेस सरकार ने ध्रुवीकरण की रणनीति की जगह किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए धान का रेट 25सौ से बढ़ा कर 28 सौ करने की घोषणा ने भाजपाईयों की नींद उड़ा दी है, किसान आंदोलन के चलते पहले से ही भाजपाई परेशान थे, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा तीन साल में 25 सौ धान खरीदी का तोड़ नहीं खोज पाये थे तो 28 सौ रूपये में धान खरीदी का तोड़ कैसे निकाल पायेगें। भाजपाई मोदी सरकार द्वारा MSP बढाये जाने के बाद से धान के दाम में वृद्धि करने की मांग कर रहे थे, जिस सी एम बघेल ने पूरा भी कर दिया।
बस्तर में पहले ही माहरा समाज को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए बस्तर हाई स्कूल का नाम जगतू माहरा और पाँलिटेक्निक काँलेज का नाम धरमू माहरा के नाम रखने के साथ ही जगदलपुर में बनाये जाने वाले माहरा समाज के सामुदायिक भवन का नाम जगतू माहरा के नाम करने की घोषणा की है। माहरा समाज पहले ही भाजपा से नाराज चल रहा है क्योंकि उन्होंने माहरा समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने से मना कर दिया था, कांग्रेस सरकार इस मामले पर कहां तक पहुंची है यह स्पष्ट नही है लेकिन माहरा समाज के नाम पर अंग्रेजों के जमाने का स्कूल का नामकरण करने से निश्चित ही माहरा समाज प्रसन्न होगा।