विपक्षी दलों मेंं सत्ता नही विपक्ष दल बनने की लड़ाई लड़ी जा रही है
क्या प्रियंका गांधी गोवा पहुंचने में देरी कर दी? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय इसलिए बन गया है, क्योकि प्रियंका गांधी के गोवा प्रवास के पूर्व ही पारवीरिम विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेताओ के एक समूह ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए गंभीर नही है। गोवा कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के पूर्व जिस तरह से नेताओं का पलायन हुआ है वह साफ संकेत दे रहा है कि कांग्रेसी नेताओं में आलाकमान पर भरोसा नही रह गया है तो आम जनता कैसे कांग्रेस पर भरोसा करेगी। कांग्रेसियों का आलाकमान पर कम होते विश्वास का भरपूर फायदा गोवा में टीएमसी उठा रही है। बंगाल में मोदी सरकार के पटखनी देने से आम जनता के साथ ही नेताओं में यह विश्वास बढ़ता जा रहा है कि मोदी सरकार को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वह है ममता बेनर्जी। संभवत: इसी विश्वास के चलते ही कांग्रेसी कांग्रेस छोड़ कर टीएमसी में जा रहे है।
प्रियंका गांधी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने की वजह से गोवा कांग्रेस में कांग्रेसी नेताओं के पलायन की सिलसिला जो शुरू हुआ, वह प्रियंका गांधी के गोवा प्रवास तक जारी है। गोवा में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी बाधा टीएमसी ही खड़ी करती दिखाई दे रही है, क्योकि कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को अपनी पार्टी में मिला कर कांग्रेस को चुनाव से बाहर करने की रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें वह काफी हद तक सफल भी नजर आ रही है। वही कुछ कांग्रेसी टिकट नही मिलने से भी कांग्रेस छोड़ रहे है, जिसमें दक्षिण गोवा के सीनियर नेता मोरेनो रेबेलो है, पार्टी ने एक बार फिर वर्तमान विधायक एलेक्सियो रेगिनाल्डो दिये जाने से वह नाराज है। उनका कहना है कि वह पार्टी के खिलाफ काम करते रहे है, पिछले साढे चार साल वह पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नही लिया। वही गोवा फॉरवर्ड पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन नही हो पाने से नाराज पूर्व सीमए लुईजिन्हो फलेरियों, पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ टीएमसी में शामिल हो गये है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके है। जिस तरह से गोवा कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है, उसे रोक पाना प्रियंका गांधी के लिए बड़ी चुनौती है। पिं्रयका गांधी के उत्तरप्रदेश में ध्यान केंदित करने असर गोवा में दिखा, जबकि गोवा में कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में थी, लेकिन उत्तरप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में नही होने के बाद भी गांधी परिवार वहां मेहनत करता दिखाई दे रहा है। जो कही ना कही कांग्रेस की रणनीति पर भी वसवाल उठाता है। जिसका फायदा भाजपा के साथ ही ही गोवा में टीएसमी उठा रही है। चुनाव पूर्व पलायन जनता में यही संदेश पहुंचाता है कि पार्टी की हालत खराब है। ऐसे हालातों में गोवा में कांग्रेस कैसे सत्ता तक पहुंच पायेगी यह बड़ा सवाल है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सत्ता से दूर रही इस बार पार्टी कही उत्तरप्रदेश की तरह गोवा से भी सत्ता से बहुत दूर ना हो जाये।
भाजपा की हेैट्रिक लगभग तय
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के सहारे सरकार बनाने में सफल रही लेकिन इस बार कांग्रेस में जिस में जिस तरह से भगदड़ मची हुई है, उसका भरपूर भाजपा फायदा का मिलेगा, क्योकि आम आदमी पार्टी व टीएमसी भाजपा को टक्कर दे पायेगी इसकी उम्मीद कम ही है । विपक्षी दलों के बीच गोवा में विपक्ष कौन बनेगा इसकी लड़ाई चल रही है।