बंगाल में भाजपा प्रत्याशी जमानत नही बचा सके, हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर इस्तीफा देेने वाले प्रत्याशी को मोदी खट्टर की जोडी हरा नही सकी
हरियाणा में भाजपा सरकार होने के साथ ही किसान आंदोलन की हवा निकालने के लिए ऐलनाबाद विधानसभा के उपचुनाव का परिणाम मोदी सरकार के बहुत महत्वपूर्ण था, खट्टर सरकार के साथ ही मोदी सरकार ने भी इस उपचुनाव को जीतने के लिए बंगाल की तरह हर संभव कोशिश करने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा जो साबित करता है कि पैसों की ताकत के आगे किसानों की ताकत कमजोर पड़ गयी। क्योकि किसान आंदोलन के समर्थन में इंडियन नेशलन लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने इस्तीफा दिया था जिसके चलते यह उपचुनाव हुए थे।
हरियाणा में कृषि बिल को लेकर किसान लम्बे समय से आंदोलन कर रहे है, इसी मुद्दे को लेकर ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा से इस्तीफा दिये जाने से इस सीट के चुनाव परिणाम पर देश दुनिया की नजर थी कि किसान आंदोलन के दौरान हो रहे उपचुनाव में अगर भाजपा चुनाव जीत जाती है तो किसान आंदोलन का क्या होगा? मोदी सरकार के साथ ही खट्टर सरकार के लिए ऐलानाबाद उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण था क्योकि इस सीट को जीत कर किसान आंदोलन की हवा निकाल सकते थे।
ऐलनाबाद जीत से किसान आंदोलन को मिलेगी नयी ताकत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा नेताओं ने किसान आंदोलन की हवा निकालने के लिए ऐलनाबाद सीट को जीतने के लिए बंगाल की तरह पूरी ताकत लगाई, लेकिन अंतत: अभय सिंह चौटाला लगभग सात हजार मतों से जीत कर किसान आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की। भाजपा ने ऐलनाबाद सीट से हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष और वर्तमान विधायक गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा को मैदान में उतारा था, उन्हें 59189वोट मिलने के साथ ही विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग 14000 वोट अधिक पाने को एक उपलब्धि के तौर पर देख रहे है, लेकिन डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी कृषि बिल के खिलाफ विधानसभा से इस्तीफा दिये अभय सिंह चौटाला को पराजित नही कर पाने से खट्टर सरकार के साथ ही मोदी सरकार पर भी सवाल उठता है कि डबल इंसान सरकार किसानों के आगे नतमस्तक होना ही पड़ा चाहे हार का अंतर कुछ कम ही क्यो ना हो गया हो। गौरतलब है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में अभय सिंह चौटाला ने यह सीट 12 हजार के करीब वोटों से जीता था लेकिन उपचुनाव सात हजार से कम वोटों से जीता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बंगाल उपचुनाव का परिणाम जितना भाजपा के लिए महतवपूर्ण था उतना ही ऐलनाबाद उपचुनाव का परिणाम किसान आंदोलन के लिए भी महत्वपूर्ण था, लेकिन बंगाल में भाजपा की हालत इतनी पतली हो गयी कि तीन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी की जमानत जप्त हो गयी , लेकिन हरियाणा में विषम परिस्थितियों में इंडियन लोकदल के प्रत्याशी अभय चौटाला का जीतना स्पष्ट संकेत है कि किसान आंदोलन मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी है, जो आम चुनाव में भाजपा की परेशानियों को बढ़ाने वाला साबित होगा।