कांग्रेस आलाकमान उत्तरप्रदेश में सक्रिय, उत्तराखंड को भूला
उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बनने की संभावनाएं उत्तरप्रदेश की तुलना में बहुत ज्यादा होने के बाद भी कांग्रेस का आलाकमान उत्तराखंड पर ध्यान ना देकर उत्तरप्रदेश में ध्यान केंद्रित किया जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करने के लिए अरविंद नेताम और मनीष सिसोदिया तीन महीने में तीन तूफानी दौरा करने के अलावा भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिसंबर को चुनावी बिगुल बजाने जा रहे है इसके पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह उत्तराखंड का दौरा कर चुके है। वही कांग्रेसी नेता आपसी टांग खिंचाई में व्यस्त दिखाई दे रही है। ऐसे हालातों में कांग्रेस कैसे भ्भाजपा को टक्कर देगी यह सवाल आम जनता से ज्यादा कांग्रेयिसों के अंदर उठ रहा है जिसके चलते इन दिनों कांगे्रस छोड़ कर नेता टीएमसी में शामिल हो रहे है।
आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उत्तराखंड में सरकार बनाने की संभावनाओं को पूरी तरह से खत्म नही हुई है लेकिन आलाकमान जिस तरह से काम कर रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कांग्रेस अपनी जीतने की पूरी संभावनाओं को खत्म करने में लगा हुआ है। भाजपा व आम आदमी पार्टी के बड़े नेता उत्तराखंड का कई बार दौरा कर रहे है, लेकिन कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने उत्तरांखड नही पहुंचे। प्रिंयका गांधी ने अपने आपकों उत्तरप्रदेश में सीमित कर लिया है जहां पर कांग्रेस की सरकार बनने की कोई उम्मीद नही है।0 पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के मुखिया हरिश रावत और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और कांग्रेस समन्वय समिति के प्रभारी किशोर उपाध्याय के बीच जमकर बयानबांजी चल रही है। जिससे कांगे्रस की सरकार बनाने की संभावनाएं समय के साथ धूमिल होती जा रही है, क्योकि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को एकजूट होने की जरूरत हेै लेकिन उत्तराखंड के हालात बता रहे हेै कि कांग्रेस के सत्ता संघर्ष सत्ता आने से पहले ही शुरू हो गया है।
किशोर उपाध्याय ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है उन्होंने 2017 विधानसभा चुनाव में देहरादून की सहसपुर विधानसभा सीट पर चुनाव हराने का आरोप हरीश रावत पर लगाने हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य का गठन होने पर हरीश रावत को सोनिया गांधी के दरबार में पैरवी कर राज्य का पहला प्रदेशाध्यक्ष और 2013 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन हरीश रावत ने 2016 में राज्यसभा चुनाव के वक्त पटली मारते हुए अपने खास विश्वासपात्र प्रदीप टम्टा को राज्यसभा भेजा दिया। जिस तरह से उत्तराखंड के कांग्रेस के दो नेताओं के बीच बयानबांजी चल रही है उससे उससे दलों के लिए रास्ते खोल दिये है, क्योकि इस लड़ाई से कांग्रेस चुनाव के पूर्व ही दौड़ से बाहर हो जायेगी, वही कांग्रेस का आलाकमान इस विवाद का पटाछेप करने की कोशिश भी नही कर रहा है।
अमरिंदर सिंह ने भी हरीश रावत पर उठाये थे सवाल
हरीश रावत की कार्यशैली पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी सवाल उठाये थे, जिसके चलते पंजाब की राजनीति में कांग्रेस के अंदर घमासान मचा हुआ है उसके बाद अब उत्तराखंड में भी हरीश रावत और किशोर उपाध्याय के साथ विधानसभा की चुनावी बेला में घमासान मचा हुआ है। लगातार विधानसभा चुनाव में हारने के चलते कांग्रेसी नेताओं का पलायन जारी है, इसके बाद भी कांगे्रस आलाकमान इन राज्यों पर ध्यान केंद्रीत करने की कोशिश नही करता दिखाई दे रहा है जहां पर सरकार बनाने की संभावनाएं जिंदा है।