चूके हुए तीरों पर आलाकमान ने विश्वास व्यक्त करके छत्तीसगढ़ के नये नेताओं को किया नजरअंदाज
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कांग्रेसी किसी भी राज्य में अपनी सरकार बचाने में कामयाब नही हो सकी है, पंजाब में मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस आलाकमान को छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी की उम्मीद लगाये बैठी है, लेकिन सत्ता वापसी के पूर्व ही छत्तीसगढ़ कोटे की राज्यसभा सीट से छत्तीसगढ़ के नेताओं को नजरअंदाज करके दिल्ली के राजीव शुक्ला और बिहार की श्रीमति रंजीत रंजन को भेजा जाने से राज्य की जनता में यही संदेश गया कि छत्तीसगढ़ सबसे बढिय़ा का नारा सिर्फ छत्तीसगढिय़ों का वोट पाने तक ही सीमित है, वही बाहरी नेताओं को राज्यसभा भेंजने से भाजपा को कांग्रेस को घेरने का एक बढ़ा मुद्दा मिल गया है।
छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी का सवाल गहराने लगा?
गुटबांजी को बढ़ाने के लिए राज्यसभा की दोनों सीटों को बाहरी लोगों को दिया कांग्रेस आलाकमान ने
कांग्रेस की रणनीति पर हमेशा सवालों को घेरे में रही है, जिसकी वजह से अभी तक वह मोदी सरकार को चुनौती नही दे सकी है, और भविष्य में दे पायेगी इसकी भी उम्मीद लोगों को कम ही है। कांग्रेस की जमीनी हालात यह है कि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद देश के किसी भी राज्य में अपनी सत्ता को बचा पाने मेें भी कामयाब नही हो सकी है। पंजाब में कांग्रेसियों को पूरी उम्मीद थी सत्ता वापसी होगी, लेकिन आम आदमी पार्टी के उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दियाञ्। इसके बाद कांग्रेसियों की निगाहें छत्तीसगढ़ पर टिकी हुई है, क्योकि पूरे देश में कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत कही है तो वह छत्तीसगढ़ में है। ऐसे हालातों में आगामी विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस आलाकमान को छत्तीसगढ़ पर ही फोकस कराना चाहिए। छत्तीसगढ़ के माध्यम से पूरे देश की जनता में यह संदेश जाये कि कांग्रेस भाजपा को हरा कर सत्ता वापसी कर सकती है, लेकिन आलाकमान ने छत्तीसगढ़ कोटे की दोनों राज्यसभा सीट से छत्तीसगढ़ के नेताओं को ना भेज कर चुके हुए नेताओंं को राज्य सभा भेजने का फैसला लिया। दिल्ली के राजीव शुक्ला और बिहार के श्रीमती रंजीत रंजन को भेज कर यह स्पष्ट संदेश दिया कि कांग्रेस आलाकमान को छत्तीसगढ़ में राज्य सभा भेजने लायक कोई नेता नही मिला,जिसकी वजह से चूके हुए राजीव शुक्ला और श्रीमति रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ कोटे से राज्यसभा सीट देकर कही ना कही भाजपा को कांग्रेस को घेरने का बड़ा मुद्दा दे दिया है। बिहार में भी कांग्रेस की स्थिति ठीक नही है, 2019 में लोकसभा चुनाव हारी चुकी पप्पु यादव की पत्नी श्रीमती रंजीत रंजन को राज्यसभा भेजने के बिहार में कांग्रेस सत्ता की दौड़ में शामिल हो जायेगी इसकी उम्मीद भी नही है। परंतु छत्तीसगढ़ जहां पर कांग्रेस के सत्ता वापसी की पूरी संभावनाएं बनी हुए है, उस राज्य से कांग्रेस आलाकमान ने राज्यसभा का टिकट ना देकर कही ना कही जनता को यह संदेश दिया कि भाजपा का यह आरोप सही है कि छत्तीसगढ़ सरकार गांधी परिवार के इशारे पर चल रही है, छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन जब छत्तीसगढ़ कांग्रेसी नेताओं की लड़ाई नही लड़ सकता है तो छत्तीसगढ़ की जनता की लड़ाई कैसे लड़ेगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांगे्रस ने छत्तीसगढ़ की दोनों राज्य सभा सीट बाहरी लोगों को देकर कही ना कही छत्तीसगढिय़ां की उपेक्षा करने के साथ ही नये नेताओं को आगे बढऩे से रोक दिया है। कांग्रेस आलाकमान चुके हुए नेताओं के सहारे सत्ता वापसी के जो सपने बून रहा है वह धरातल में तो कामयाब होते नही दिखाई दे रहे है लेकिन उनकी रणनीति से कही ना कही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की वापसी की राह मुश्किल जरूर होती दिखाई दे रही है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पहले ही राहुल गांधी के ढ़ाई ढ़ाई साल वाले फार्मूले से पार्टी में गुटबांजी चरम पर है, ऐसे हालातों में राज्यसभा की दोनों सीटें बाहरी लोगों को देकर कांग्रेस आलाकमान ने गुटबांजी का विस्तार ही किया है।