बड़े नेता भी सुरक्षित सीट की तलाश करने को मजबूर
यूपी चुनाव में भाजपा और सपा के बीच एक दूसरे को घेरने का खेल चल रहा है। इसी कड़ी में भाजपा ने भाजपा छोड़ कर सपा में गये हैवी वेट नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को घेरने के लिए कांग्रेसी नेता आरपीएन सिंह को भाजपा में शामिल कराया। जिसके दवाब में अंतत: स्वामी प्रसाद मौर्य के अपनी परांपरगत सीट कुशीनगर की पडरौना की जगह फाजिलनगर से चुनाव लड़ रहे है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के पंडरौना सीट की जगह फाजिलनगर सीट से चुनाव लडऩे से निश्चित ही भाजपा को स्वामी प्रसाद मौर्य को घेरने का मौका मिल गया। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्वामी प्रसाद मौर्य को घेरते हुए कहा कि हार के डर बहुत से लोगों को सीट छोडऩे पर मजबूर कर देता है। राहुल गांधी ने लोकसभा में अमेठी से भाग गए, अखिलेश यादव ने अपनी सीट छोड़ दी, और अब स्वामी प्रसाद भी भाग रहे हैं। उनकी हार पक्की है। गौरतलब है कि आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि वह ना कभी थे, ना है और ना कभी चुनौती होंगे। बीजेपी अगर आरपीएन सिंह को मैदान में उतारती है तो शायद वह बीजेपी के सबसे कमजोर उम्मीदवार होगें, लेकिन कुछ दिनों बाद ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी परंपरागत सीट पंडरौना की जगह फाजिलनगर से चुनाव लडऩे का फैसला स्पष्ट करता है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए आरपीएन सिंह का फैक्टर के चलते उन्होंने सुरक्षित सीट तलाश की है। अनुराग ठाकुर ने कहा पांच साल बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने नये स्वामी को चुना, लेकिन इतनी मुसीबतों के बाद भी अपनी सीट से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए, पडनौरा से भागने का आखिर कारण क्या रहा होगा? उन्हें हार का डर था।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरपीएन सिंह के चलते सीट बदली
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के अयोध्या की जगह सुरक्षित सीट गोरखपुर से लडऩे पर सपा के साथ ही विपक्ष ने निशाना साधा था लेकिन बांजी पटलते देर नही लगी और स्वामी प्रसाद मौर्य जो कुछ दिन पूर्व तक आरपीएन सिंह को एक कमजोर उम्मीदवार मान रहे थे लेकिन उसी कमजोर उम्मीदवार के चलते उन्हेें अपनी सीट बदलने को मजबूर होना पड़ा। जिसके चलते भाजपा को सपा घेरने का मौका मिल गया। यह मामला बताता है कि हर बड़ा नेता को पार्टी से ज्यादा अपनी राजनीति की चिंता होती है,जो नेता अपनी राजनीति की चिंता करते है वह जनता का कैसे भला कर पायेगा। योगी सरकार में मंत्री रहने के बाद भी स्वामी प्रयाद मौर्य को अपनी सीट बदलनी पड़ रही है तो स्पष्ट करता है कि काम नही सिर्फ जोड़ तोड़ की राजनीति से ही चुनाव जीता जाता है। आरपीएन सिंह कांग्रेस की टिकट पर टक्कर देने की स्थिति में नही थे लेकिन भाजपा में आते ही वह टक्कर देने की स्थिति में आ गये, जो बताता है चुनाव काम से नहीं समीकरण से जीता जाता है।