केंद्र में मोदी सरकार होने के कारण भाजपा नेताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वह बस्तर की जनता की समस्याओं का समाधान करें
बस्तर में अपने खोये जनाधार को वापस पाने के लिए आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर में बस्तरवासियों को राहत दिलाने के लिए क्या भाजपा नेता मोदी सरकार या रेल विभाग से जगदलपुर से किरदुंल के बीच पैसेंजर सेवा शुरू करने की आवाज बुलंद करके इस सेवा को जल्द से जल्द शुरू करके जनता को राहत दिलाने की कोई रणनीति बनायेगें? या सिर्फ भाषण बांजी में ही यह चिंतन शिविर खत्म हो जायेगा। दक्षिण बस्तर में फर्जी मुठभेड़ के मामले की आये दिनों सामने आ रहे है लेकिन विपक्षी दल भाजपा इस मामले पर भी पूरी तरह से मौन साधे हुए है। सिलगेर में आदिवासियों को द्वारा मारे गये लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए किया गया एतिहासिक आंदोलन इसका उदाहरण है जिसमें भाजपा ने जांच दल तो जरूर बनाया लेकिन अभी तक इसके रिपोर्ट सार्वजनिक नही कर पायी है, वही दूसरी तरफ आदिवासी समाज भी सिलगेर में मारे गये ग्रामीणों को मुआवजा दिलाने की आवाज बुलंद कर रहा है। इतने अहम मामले पर भाजपा की चुप्पी सवालों के घेरे में है, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब इतने अहम मुद्दो पर प्रमुख विपक्षी दल मौन साधे है तो सत्ता पक्ष के हौसला तो बढऩा ही बढऩा है। जिसकी वजह से अभी तक सिलगेर की दंडाधिकारी जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक नही हो पायी है? क्या आने वाले समय में यह रिपोर्ट सार्वजनिक होगी यह भी कोई नही जानता है क्योकि भाजपा अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नही कर पायी है तो सरकार की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कैसे कर सकती है। पेट्रेाल डीजल के बढ़े दामों के चलते किराये में हुई वृद्धि का भाजपा खूल कर विरोध नही कर सकती है लेकिन केंद्र में मोदी सरकार से मांग करके जरूर संभाग मुख्यालय से दक्षिण बस्तर को पैसेंजर सेवा उपलब्ध करा करके उनके दर्द को कम कर सकती है।