राहुल गांधी भी चीन का सहारा लेकर मोदी सरकार की इमेज को यूपी चुनाव में नुक्सान पहुंचाने की कर रहे है कोशिश
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पूर्व चीन सरकार के द्वारा, मोदी सरकार की ताकतवर इमेज को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास जारी है। इसके बाद भी मोदी सरकार के नेता पाकिस्तान की तरह आक्रामक नजर नही आ रहे है, जो आम जनता के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है। वही राहुल गांधी नये साल में गलवान घाटी में चीनी झंडा फहराए जाने को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि गलवान में हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है, चीन को जवाब देना होगा, मोदी जी चुप्पी तोड़ो। नये साल शुरू होने से पहले अरूणाचल प्रदेश में भी चीन द्वारा 15 जगहों के नाम में बदलाव पर भी राहुल गांधी ने पीएम को घेरा था।
चीन मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके नेताओं की चुप्पी का फायदा राहुल गांधी भरपुर उठाते दिख रहे है, उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिनों पहले हम 1971 में भारत की गौरवपूर्ण जीत को याद कर रहे थे, देश की सुरक्षा और विजय के लिए सूझ-बूझ व मजबूत फैसलों की जरूरत होती है, खोखले जुमलों से जीत नही मिलती।चीन मीडिया ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 के पहले दिन देश भर में चीन के पांच सितारों वाला लाल झंडा फहराया गया, इनमें हॉगकॉग का विशेष प्रशासित क्षेत्र और गलवान घाटी भी शामिल है। अखबार ने एक वीडियों में जारी किया है जिमसें भारत सीमा के पास गलवान घार्टी में चट्टान पर नारा लिखा है कि एक इंच भी जमीन नही छोडों के सामने खड़े चीनी सैनिक जनता को नए साल पर अभिवादन कर रहे है, चीनी सैनिक यह कह रहे है कि हम अपनी मातृभूमि से ये वादा करते है कि हम अपनी सीमा की रक्षा करेंगे। इस विवादित खबर पर मोदी सरकार की पूर्व की तरह कोई टिप्पणी नही आयी।
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खोखली ताकतवर इमेज का फायदा उठा रहा है चीन
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हालात सामान्य होने की खबरें प्रचारित कर रहा है भारतीय मीडिया
ग्लोबल टाईस एक तरफ गलवान घार्टी में चीनी झंडा फहराने की खबरें छाप रहा है लेकिन दूसरी तरफ भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से यह खबर जारी की गई कि नये साल में भारत और चीन के सैनिकों ने एलएसी पर कई चौकियों पर मिठाइंया बॉटी थी और एक दूसरे को शुभकामनाएं दी थी जिसमें पूर्व लद्दाख की चौकियां भी शामिल है। जिस पर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अगर ये बात सही है तो इस अक्टूबर में दोनों देश के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद से एक सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए, क्योकि पिछले डेढ़ साल से कई जगहों को लेकर गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। ज्ञात हो कि 5 मई को पूर्वी लद्दाख के पेगॉन्ग लेक इलाक में दोनों देशों के सेनाओं में हिंसक संघर्ष हुआ था जिसके बाद इस इलाके में दोनों देशों ने बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों को तैनात कर दिया।
मोदी सरकार के बयान का है इंतजार
चीन ने जिस इलाके में नये वर्ष में झंडा फहराया है, उस पर मोदी सरकार की कोई अधिकृत बयान नही आया है, वही भारतीय सेना से जुडे सुत्रों का कहना है कि यह दोनों देशों के बीच डिमिलिट्राइज्ड जोन का उल्लंघन नहीं करता है। चीन ने गैर विवादित क्षेत्र में झंडा फहराया है, न कि गलवान नदी के उस मोड़ के पास जहां जून 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। गौरतलब है कि अरूणाचल प्रदेश में 15 जगहों के नाम बदले जाने के मामले पर जिस से यूपी में राजनीति होती है लेकिन वैसी राजनीति भारत और के चीन देखने को नही मिली। विदेश मंत्रालय में विरोध दर्ज कराते हुए सिर्फ इतना कहा कि चीन पहले भी ऐसा प्रयास कर चुका है लेकिन इससे तथ्य नहीं बदल जाते।