12 दौर की बातचीत के बाद भी चीन पीछे हटने को तैयार नही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय सीमा पर कोई नही घुसा है तो फिर 12 दौर की बातचीत भारतीय सेना सिर्फ आईट पास करने के लिए कर रही है?
मोदी सरकार राष्ट्रवाद का नारे के सहारे सत्ता तक पहुंची है लेकिन सत्ता में काबिज होने के बाद राष्ट्रवाद का मुद्दा पाकिस्तान के अतिरिक्त दूसरी जगह पर कमजोर पकड़ा दिखाई दे रहा है, असम और मिजोरम में हुए सीमा विवाद में जहां 6 पुलिस कर्मियों की मौत हो गयी, इस मामले पर भी मोदी सरकार मौन साधे हुए है, वही लद्दाख क्षेत्र में चीन द्वारा किया गया अतिक्रमण को खाली कराने के लिए 12 दौर की बातचीत के बाद भी जमीनी हालत में कोई उल्लेखनीय सुधार नही हुआ है। मोदी सरकार जिस तरह से पाकिस्तान के मामले पर आक्रामक नजर आती है वैसी आक्रामकता चीन के मामले में नही देखाने की ेवजह से चीन का साहस बढ़ता जा रहा है और वह अतिक्रमण क्षेत्र से हटाने को तैयार दिखाई नही दे रहे है, भाजपा सरकार कारगिल की तरह अपने क्षेत्र को खाली करने के लिए आक्रामकता नही दिखा रही है, लद्दाख मेें चीन अतिक्रमण को बातचीत से खाली करने की रणनीति पर मोदी सरकार काम कर रही है जिसकी वजह से 12वें दौर की बातचीत 9 घंटा चलने के बाद भी यह स्पष्ट नही हो सकता है कि चीन भारतीय सीमा में किये गये अतिक्रमण को कब तक खाली करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय सीमा पर किसी ने भी अतिक्रमण नही किया है, ऐसे में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच 12 दौर की बातचीत स्पष्ट करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को गलत जानकारी दी है। राहुल गांधी चीनी अतिक्रमण को लेकर सवाल उठाते रहे लेकिन भाजपा नेता हमेशा की तरह उन्हें नजरअंदाज करते रहे लेकिन अतिक्रमण के मामले पर उनकी बात सही थी यह भारतीय सेना व चीनी सेना की 12 वें दौर की बातचीत ही साबित कर रही है। भारतीय सेना चाहती है कि चीन सेना गोग्रा , हॉट स्प्रिंग और देवसंाग से पीछे हटे, साथ ही भारतीय सेना डेपसांग में पैट्रोल पॉईट 10,11,11 अल्फा, पीपी 12 और पीपी 13 तक गश्त करने से ना रोका जाये, भारतीय सेना ने फरवरी 2020 में आखिरी छोर तक गश्त की थी। मोदी सरकार में जिस तरह से चीनी सेना ने भारतीय सीमा पर अतिक्रमण किया और मोदी सरकार इस मामले पर पुलवामा हमले की तरह जवाबी कार्यवाही नही करने की वजह से इस मामले का समाधान नही निकल पा रहा है या कहे और पेचीदा हो गया है और भविष्य में यही नयी सीमा रेखा ना बन जाये इसका खतरा भी मंडाराने लगा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार के नेता दावा करते है कि मोदी सरकार उसी की भाषा में जवाब देती है तो चीन को उसकी भाषा में कब जवाब देगा इसका देश को इंतजार है।