लद्दाख क्षेत्र में अतिक्रमण के बाद उत्तराखंड क्षेत्र में की घुसपैठ
चीन की हरकतों से परेशान होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का नाम लेने से बच रहे है, ऐसा क्यो?
सयुंक्त राष्ट्रसंघ को संबोधित करते हुए भारत के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री नरेंद्र ने अपने संबोधन में लद्दाख में चीनी सेना के अतिक्रमण के बाद भी चीन व पाकिस्तान का नाम लेने से दूरी बनायी लेकिन चीन जमीन में भारतीय सीमा पर अतिक्रमण व घुसपैठ का सिलासिला जारी रखकर कही ना कही मजबूत प्रधानमंत्री की इमेज को नुक्सान पहुंचाने पर लगा हुआ है लेकिन गोदी मीडिया इसकों लेकर वैसी चिंतित नजर नही आ रही है जैसा कि वह किसान आंदोलन से हो रही प्रधानमंत्री की खराब हो रही इमेज से परेशान है। चीन भारत में ताकतवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते लगातार अतिक्रमण व घुसपैठ की सिलसिला जारी रखे हुए है। चीन कोरोना काल में जहां लद्दाख क्षेत्र में अतिक्रमण किया, लम्बे समय बाद दोनों सेनाओं की वापसी भी हुई लेकिन जानकारों के अनुसार इस समझौते में भारत को काफी नुक्सान हुआ, इसके बाद भी संयुक्त राष्ट्रसंघ के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन व पाकिस्तान का नाम नही लिया। जिस पर भाजपा को वरीष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी निशाना साधा कि बड़े मंचों पर चीन व पाकिस्तान का नाम लेने से परहेज क्यो? अमेरिका प्रवास से भारत लौटने के बाद यह उत्तराखंड में चीनी सेना की घुसपैठ का मामला प्रकाश में आया है। उत्तराखंड के बाराहोती क्षेत्र में चीन के 100 से ज्यादा सैनिक भारतीय सीमा में घुस कर एक पुल समेत कई इन्फ्रास्ट्रक्चर को तहस- नहस कर दिया। सरकारी आधिकारियों ने इस घटना की पृष्टि करते हुए बताया कि जुन ला पास पार कर 55 घोड़े और 100 से ज्यादा सैनिकोंं ने भारतीय सीमा में 5 किलोमीटर अंदर तक आये और तीन घंटो तक रहे। गौरतलब है कि बाराहोती इलाकें में चीन की और से 2018 में तीन बार घुसपैठ हुई थी, ज्ञात हो कि यह वह क्षेत्र है जहां पर चीन ने 1954 में चीन के सैनिकों में घुसपैठ की थी और दूसरे इलाके में कब्जा करने की कोशिश में 1962 की जंग हुई थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चीन के द्वारा लगातार देश में मजबूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते घुसपैठ और अतिक्रमण का सिलसिला जारी होना बताता है कि चीन गोदी मीडिया की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूत प्रधानमंत्री के तौर पर नही देख रहा है इसलिए वह लगातार विस्तारवादी नीति के तहत अतिक्रमण व घुसपैठ कर रहा है। उसकी इस नापाक हरकत के बाद भी प्रधानमंत्री चीन का नाम लेेने से क्यों बच रहे है इसका कारण देश की जनता जानना चाहती है।
पाकिस्तान व चीन का नाम नही लिया प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में