कांग्रेसी विधायक बृहस्पत सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव पर जान से मारने का लगाया आरोप
कांग्रेस आलाकमान पंजाब की तरह छत्तीसगढ़ में सत्ता संतुलन नही बनता है जो आगामी विधानसभा चुनाव में नुक्सान की पूरी संभावनाएं है
पंजाब, राजस्थान की तर्ज पर ही छत्तीसगढ़ में भी सत्ता संतुलन बनाने का प्रयास राष्ट्रीय आलाकमान को करना होगा अन्यथा राज्य की सत्ता मुख्यमंत्री के हाथों में सिमट कर रह जायेगी, जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है। राष्ट्रीय आलाकमान पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ना चाहते हुए भी पंजाब कांगे्रेस का अध्यक्ष नवजोद सिंह सिद्धु को बना दिया, कांग्रेस आलाकमान की इस निर्णय की धमक राजस्थान में भी दिखाई दी और गहलोत सरकार ने मंत्रीमंडलव विस्तार के साथ ही अन्य नियुक्ति पर सहमत हो गये है, जो आधे कार्यकाल से खाली पड़ी थी, जिससे सचिन पायलट की नाराजगी को खत्म किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता 15 सालों बाद मिली है लेकिन सत्ता का कई केंद्र बिन्दू होने की जगह एक के साथों में सिमट गयी है। जिसका परिणाम है कि कांग्रेस के विधायक बृहस्पत सिंह ने बकायदा 20 कांग्रेसी विधायकों की उपस्थिति में पत्रवार्ता लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर हत्या करने का आरोप लगाने के साथ ही उन्हेंं स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाने की मांग भी कर डाली। गौरतलब है कि ढ़ाई ढ़ाई साल मुख्यमंत्री का मामला सामने आने के बाद से टीएस सिंहदेव कांग्रेसी नेताओं के निशाने पर भी आ गये है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बृहस्पत सिंह का दिया गया बयान इसी कड़ी का हिस्सा है, लेकिन यह उल्ला भी पड़ सकता है, क्योकि टीएस सिंहदेव ने इस विवाद को हवा नही दी, जिससे यह मामला कम से कम छत्तीसगढ़ में राजनीतिक मुद्दा नही बन सका है लेकिन राष्ट्रीय कांग्रेस में जरूर यह मुद्दा बन सकता है, क्योकि आलाकमान की नजर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर बनी हुई होगी, क्योकि 20 कांग्रेसी विधायकों की मौजूदगी में बृहस्पत सिंह का स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव पर हत्या का आरोप लगाना छोटी मोटी बात नही है, जिसने कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबंाजी को भी सार्वजनिक कर दिया है। टीएस सिंहदेव सचिन पायटल या फिर नवजोद सिंह सिद्धू की तरह खूल कर पार्टी नेत्त्व के खिलाफ बगावत का बिगूल नही फूंका है लेकिन आलाकमान निश्चित ही इस मामले को गंभीरता से नही लेगा तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को परेशानी बढ़ सकती है क्योकि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया द्वारा राजीव भवन में प्रदेश कार्यकारिणी और जिलाध्यक्षों की बैठक में पदाधिकारियों द्वारा जम कर शिकायत की गयी जो साबित करता है कि सत्ता कुछ एक हाथों में सिमट कर रह गयी है और बाकि सिर्फ हाथ ही मल रहे है सत्ता दिलाने के बाद भी। बस्तर के वरिष्ठ कांग्रेसियों भी कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिख कर बताया है कि वरीष्ठ कांग्रेसियों को महत्व नही मिल रहा है। जब टीएस सिंहदेव जैसे वरीष्ठ कांग्रेसियों को कांग्रेसी निशाना बनाने से नही चुक रहे है तो आम वरीष्ठ कांग्रेसियों को कांग्रेसी कैसे भाव देगें?