सामाजिक मुद्दे पर बोलने से क्रिकेट खिलाड़ी ही नही बॉलीवुड अभिनेता भी कर रहे किनारा
आश्रम तीन की शूटिँग में तोडफ़ोड़ के बाद भी सन्नाटा पसरा हुआ है बॉलीवुड में
हिन्दू मुस्लिम राजनीतिक की ऑच जब भारतीय टीम तक पहुंची तो विरोध कोहली ने ऐसे लोगों को रीढहीन का समूह बताते हुए कहा कि यह इंसानियत का सबसे निचला स्तर है, किसी पर धर्म के आधार पर हमला करने से ज्यादा निराशाजनक कुछ नही हो सकता है। कभी धर्म के आधार पर पक्षपात के बारे में नही सोचा, धर्म बहुत पवित्र चीज है, हमारे भाईचारे और दोस्ती को हिलाया नही जा सकता है, इस तरह की चीजों से फर्क नही पड़ता है। लेकिन देश में राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए खूल कर ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे है, इस पर भारतीय क्रिकेट टीम के साथ बॉलीवुड की अधिकांश हस्तियां चुप है जिन्हें किसान आंदोलन पर रेहाना की ट्वीट से देश की बदनामी की चिंता सता रही थी। जिसकी वजह से विगत दिनों भोपाल में आश्रम तीन की शूटिंग के दौरान कुछ लोगों ने तोडफ़ोड की, जो बताता है कि धु्रवीकरण की राजनीति का असर धरातल में साफ दिखाई दे रहा है इसके बाद भी अगर देश के सममनित लोग विरोध करने के लिए सामने नही आये तो निश्चित ही दरार और गहरी होती जायेगी। ज्ञात हो कि पाकिस्तान और भारत के म्मैंच में हार के बाद मोहम्मद शमी को लोगों ने निशाना बनाया, भारतीय टीम के सचिन तेंदुलकर सहित अन्य खिलाड़ी भी इस मामले पर शमी के साथ खड़े दिखे, लेकिन देश में बढ़ती धु्रवीकरण की राजनीति पर कुछ भी बोलने से बच रहे है। गौरतलब है कि त्रिपुरा इन दिनों मुस्लिम हिंसा का शिकार हो रहा है लेकिन शमी के पक्ष में खड़े होने वाले लोग भी इस मामले पर मौन साधे हुए है। दोहरा रवैय्या से इस समस्या का विस्तार ही होगा, क्योकि जब अपने पर आती है तो विरोध और जब दूसरे पर आती हेै तो चुप रहकर समर्थन।
शमी पर क्रिकेट खिलाड़ी एक हुए, आश्रम मामले पर बॉलीवुड नही हो सका एक
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कट्टर हिन्दुवादियों द्वारा मोहम्मद शमी को निशाना बनाने के बाद कम से कम पूर्व क्रिकेटर के साथ ही वर्तमान क्रिकेट टीम भी शमी के पक्ष में रखी नजर आयी, लेकिन आश्रम तीन की शूटिंग में हुई मारपीट पर बॉलीवुड से विरोध की आवाज नही उठना बताता है कि बॉलीवुड अभिनेताओं की हालत क्या है। वह सिर्फ फिल्मी पर्दो पर ही अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ सकते है, असर जिंदगी में वह रीढ़हीन हो चुके है मोदी सरकार में, क्योकि मनमोहन सरकार में पेट्रेाल की बढ़ती कीमत पर बोलने वाले अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और अनुमप खेर ने बोलना बंद कर दिया है।
बिशन सिंह बेदी बेबाकी से अपनी बात रखते थे सामाजिक मुद्दो पर
भारतीय क्रिकेट टीम ब्लैक लाइव्स मैटर के समर्थन में घुटनों के बल बैठे, सवाल यह है कि क्या भारत में बढ़ती धु्रवीकरण की राजनीति का विरोध करने के लिए भी कभी भारतीय टीम घुटनों के बल बैठ कर विरोध करेगें, क्योकि मोहम्मद शमी को पाकिस्तान की हार के बाद निशाना बनाया जाता बताता है कि इस राजनीति की लपट भारतीय क्रिकेट टीम तक पहुंच गयी है, असम में अतिक्रमण हटाने के नाम पर मुस्लिमों पर अत्याचार किया गया था, वही इन दिनों त्रिपुरा में मुस्लिमों पर अत्याचार की खबरें सुर्खियों में है, लेकिन कोई भी इन समस्या पर बोलने से बच रहा है। गौरतलब है कि पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी बिशन सिंह बेदी सामाजिक मसलों पर अपनी राय देने में पीछे नही हटते थे। वही उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन ने जब वसीम जाफर पर धार्मिक आधार पर खिलाडिय़ों के चुननें का आरोप लगाने पर अनिल कुंबले वसीम जाफर के पक्ष में खड़े हो गए थे, जिस पर ज्यादातर बड़े खिलाड़ी बोलने से कतराते है। ओलंपिक में सोना जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने भी नफरत फैलाने वालों पर निशाना साधा, जब वे पाकिस्तान के साथी खिलाड़ी अरशद नदीम पर तंज कस रहे थे। उस वक्त भी भारतीय टीम के खिलाड़ी मौन थे।
सरकार मौन
मोहम्मद शमी मामले पर अभी तक मोदी सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, जबकि भारतीय टीम व क्रिकेट खिलाड़ी बेहद गंभीर नजर आ रहे हैं, सरकार इस मामले पर बयान देकर इस विवाद का अपने स्तर पर पटाक्षेप करने का प्रयास नही किया जाना यही संकेत दे रहा है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में हिन्दू मुस्लिम राजनीति प्रभावित हो सकती है।