भारी मतदान, भाजपा की मुश्किलें बढ़ायेगा
बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कोरेाना के दूसरी लहर के बाद भी 84 प्रतिशत वोटिंग इस बात का प्रमाण है लोगों को कोरोना से ज्यादा इस बात का भय है कि उनकी वोट नही डालने से कोई गलत उम्मीदवार चुनाव जीत ना जाये। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जिस तरह से पहले चरण में लोगों ने भारी मतदान किया उसी तरह ही आने वाले चरणों में लोग बड़ी संख्या में वोटिंग कर अपने दिल से इस बात का बोझ नही रखना चाहते हेै कि उनके वोट करने से परिणाम कुछ और होता। चुनाव लड़ रही हर राजनीतिक दल इस भारी वोटिंग को अपने पक्ष में बताने का प्रयास कर रही है, गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि भारी मतदान भाजपा के पक्ष में है लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सत्ता के खिलाफ वोट देने के लिए कोरेाना की दूसरी लहर के बीच मतदाता अपनी जान का जोखिम में डाल कर नही निकलेगा, भारी मतदान से कही ना कही भाजपा की परेशानी ही बढ़ाने वाला है, क्योकि भाजपा के खिलाफ किसानों ने भी मोर्चा खोल रखा है और वह खूल कर भाजपा के खिलाफ वोट करने की अपील भी बंगाल व असम की जनता से कर चुके है इसके अलावा महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा भी मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाला है। भाजपा जय श्री राम के नारे के साथ बंगाल में भी ध्रुवीकरण करके राजनीतिक लाभ लेने की रणनीति पर काम तो कर रही हैे लेकिन बंगाल में अभी तक कामयाब होती नजर नही आयी है।