किसान नेता राकेश टिकैत मध्यप्रदेश के श्योपुर के जैदा उपज मंडी में आयोजित महापंचायत में कहा कि एमएसपी भी मिलेगा और तीन कृषि कानून भी वापस होगें , देश का किसान सीने पर गोली खाएगा लेकिन पीछे नही हटेगा। सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा को सत्ता मिलती है तो कृषि बिल का विरोध करने वाले किसान नेता किस आधार पर देश व दुनिया को यह बतायेगें कि कृषि बिल किसान के लिए हितकारी नही है, क्योकि जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे है वहां भी किसान बड़ी संख्या में रहते है, किसानों के समर्थन के बगैर किसी की भी सरकार नही बन सकती है। वर्तमान समय में किसान आंदेालन से जूडे नेता महापंचायत में किसानों को संबोधन करने की जगह जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हेै वहां जाकर किसानों को समझाये कि कृषि बिल से किसानों को क्या नुक्सान होने वाला है और किसान आंदोलन का सफल करना है तो किसी को भी जीताओं लेकिन भाजपा को हर हालत में हराओं, तब ही किसान आंदोलन सफल हो पायेगा। पांच विधानसभा का चुनाव भाजपा व किसानों के बीच की लड़ाई है, इसमें किसको सफलता मिलती है यह सबसे बड़ा राजनीति सवाल है। किसान आंदोलन की सफलता व असफलता इन विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन पर ही तय होगी, अगर भाजपा जीती तो स्पष्ट हो जायेगा कि किसान आंदोलन में सिर्फ कुछ राज्यों के किसान ही शामिल है, जो बात लम्बे समय से मोदी सरकार के नेता कह रहे है। और अगर भाजपा इन सभी राज्यों से पराजित होती है तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि कृषि बिल के विरोध में देश के सभी किसान है। किसान नेता राकेश टिकैत निश्चित ही एक बहुत बड़े किसान आंदोलन के एक बड़े नेता है, लेकिन जब तक भाजपा की राजनीतिक ताकत को कमजोर नही किया जायेगा तब तक किसान आंदोलन के प्रति मोदी सरकार गंभीर नही होगी। पांच विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार को किसानों को अपनी ताकत दिखाने का समय है, यह समय चला गया तो आंदोलन जरूर लंबा चलेगा लेकिन मोदी सरकार उसे गंभीरता से नही लेगी जैसे वर्तमान में नही ले रही है।