जदयू और कैंप्टन अमरिंदर सिंह मोदी सरकार से इस योजना पर पुनर्विचार करने की मांग करके भाजपाईयों के उस आरोप की हवा निकाल दी कि विपक्ष छात्रों को गुमराह कर रहा है
केेंद्र सरकार की सेना में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्रिपथ योजना को लेकर बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में हुई हिंसा के लिए भाजपाई विपक्ष को जरूर जिम्मेदार बता रहे है, लेकिन इस योजना को लेकर बिहार में भाजपा के सहयोगी जेडीयू भी मोदी सरकार से इस योजना पर विचार करने की अपील की है, पंजाब में भाजपा के सहयोगी कैंप्टन अमरेंदर सिंह भी सशस्त्र बलों की भर्ती के लिए लाई गयी योजना पर पुनर्विचार करने का कहा है, इसके अलावा भाजपा के सांसद वरूण गांधी ने योजना की घोषणा के बाद ही बदलाव करने पर सवाल उठाये । सवाल यह है कि मोदी सरकार की अग्रिपथ योजना जब भाजपा के सहयोगी दलों को ही समझ नही आ रही है। ऐसे हालातों में भाजपाईयों का यह आरोप कि विपक्ष युवाओं को गुमराह कर रहे है यह आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित लगता है। ताकि देश की जनता को यह बताया जा सके कि विपक्ष इस हिंसा के माध्यम से मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
बिहार में आरोपियों पर बुलडोजर कब चलेगा?
भाजपा अपने सहयोगियों को भी अग्रिपथ योजना नही समझा सकी, तो छात्रों केा कैसे समझा पायेगी?
मोदी सरकार के द्वारा कृषि बिल के माध्यम से कृषि क्षेत्र में बदलाव की कोशिश को किसानों ने फेल कर दिया, कुछ उसी तरह ही सैन्य भर्ती में बदवाल की योजना के बाद जिस तरह से देश में हिंसा भड़की, उसके बाद से इस योजना पर भी सवाल उठने लगे है। भाजपाई अपने चिर परिचित अंदाज में किसान आंदोलन की तर्ज पर ही हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार बता कर यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हे कि मोदी सरकार का यह शानदार मास्टर स्ट्रोक को विपक्ष बदनाम करने में लगा है। कृषि बिल की तरह ही इस योजना पर विपक्ष के साथ ही भाजपा के सहयोगी भी सवाल उठाने से भाजपाईयों की रणनीति फेल होती दिखाई दे रही है। बिहार में सत्तारूढ़ दल जेडीयू ने मोदी सरकार से इस बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि बिहार के साथ ही देश के कुछ अन्य राज्यों में असंतोष बढ़ रहा है, कई राज्यों मेंं हिंसक घटनाएं हो रही है, केंद्र सरकार को तुरंत संज्ञान में लेते हुए इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। इसके अलावा पंजाब में भाजपा के साथ चुनाव लडऩे वाले कैंप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस योजना पर पुनर्विचार करने की मांग करने के अलावा भाजपा के सांसद वरूण गांधी अग्रिपथ योजना के हो रहे बदलाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि योजना बनाते समय सही तरीके से विचार नही किया गया, जिसकी वजह से योजना की घोषणा करने के बाद ही बदलाव की शुरूआत हो गयी। गौरतलब है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद नियमों में तेजी से बदलाव किया गये उसी तरह ही जीएसटी में भी बदलाव योजना लागू होने के बाद ही शुरू हो गया था।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपाई जरूर अग्रिपथ योजना के हो रहे विरोध के लिए विपक्ष को जिम्मेदार बताने की कोशिश करके मोदी सरकार की इमेज को अच्छी बनाने की कोशिश में लगे हे लेकिन इस योजना को लेकर भाजपा के सहयोगी दलों के द्वारा पुनर्विचार की मांग करना स्पष्ट करता है कि मोदी सरकार ने इस योजना को लागू करने के पूर्व अपने सहयोगियों को भी विश्वास में लेने की जरूरत नही पड़ी, जिसकी वजह से अब सहयोगी ही इस योजना को लेकर मोदी सरकार को घेर रहे है, जिससे कही ना कही विपक्ष को नई ऊर्जा भी मिल रही है, वही भाजपाईयों के इस दावे की भी धार कमजोर हो रही है कि विपक्ष छात्रों को गुमराह कर रहा है।
अग्रिपथ येाजना के बढ़ते विरोध के साथ ही मोदी सरकार उम्मीदवारों की उम्र में बदलाव करके स्पष्ट कर दिया कि इस योजना को लागू करने के पूर्व इस योजना पर बारिकी से विचार नही किया गया, जिसकी वजह से भाजपा का समर्थन करने वाले रिटायर्ड जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि अग्रिवीर योजना से हैरान हूं, मुझे लग रहा है यह एक प्रयोगात्मक योजना है, और सिर्फ इसे परीक्षणके आधार पर देखा जा रहा है,भगवान के लिए ऐसा ना करें।