संघ प्रमुख को हिन्दुत्व व भारत की चिंता है, लेकिन भाजपा सरकारों ने इसके लिए क्या किया, इसका उल्लेख नही किया।
उत्तरप्रदेश के चुनाव में योगी सरकार की नैय्या को पार लगाने के लिए क्या एक बार फिर संघ प्रमुख ने हिन्दुत्व के मुद्दे को हवा देने की कोशिश की है? संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आप देखेंगे कि हिंदुओं की संख्या या ताकत कम हो गई है, या हिंदुत्व की भावना कम हो गई है। अगर हिंदू बने रहना चाहते है तो भारत के अखंड बनना होगा। संघ प्रमुख ने यह नही बताया कि केंद्र में विगत सात सालों से मोदी सरकार काम कर रही है, वही मध्यप्रदेश में भाजपा लम्बे समय से सत्ता में होने के बाद हिन्दुत्व को कितनी मजबूती मिली है। ताकि जनता आंकलन कर सके कि भाजपा सरकार में हिन्दुत्व को कितनी मजबूती मिली है।
ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू और भारत अलग अलग नही हो सकते है। भारत को भारत रहना है तो भारत को हिन्दू रहना पड़ेगा। हिन्दू के बिना भारत नही और भारत के बिना हिन्दू नही। उन्होंने कहा कि हिन्दूओं की शक्ति कम होगी तो भारत कमजोर होगा। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही संघ के कई बड़े नेता और प्रदेश के कई नेता भाग लेने पहुंचे थे। राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर मोहन भागवत का यह बयान इसलिए चर्चा का विषय बन गया है क्योकि उत्तरप्रदेश चुनाव के साथ ही पांच राज्यों के चुनाव अगले साल होने वाले है। भाजपा धु्रवीकरण की राजनीति के लिए जिन्ना, पाकिस्तान का सहाना लेना नही भूलती है। क्या संघ प्रमुख श्री भागवत भी चुनावों का धु्रवीकरण करने के लिए हिन्दू और भारत का उल्लेख करके यह बताने की कोशिश की जा रही है कि हिन्दू ही नही भारत को भी खराब है अगर हिन्दू कम हो गये तो। उन्होंने इस कार्यक्रम में यह नही बताया कि मोदी सरकार के सात सालों व शिवराज सिंह चौहान के ढेड़ दशक के शासनकाल में हिन्दुत्व को कितनी मजबूती मिली है। या हिन्दुत्व को मजबूती प्रदान करके के लिए क्या किया है। जानकारों का कहना है कि संघ प्रमुख हिन्दुत्व की चिंता तो कर रहे है लेकिन मोदी सरकार और शिवराज सिंह की सरकारों ने हिन्दुत्व को मजबूत करने के लिए क्या किया यह बताने से क्यो परहेज कर रहे है। क्या उन्हें लगता है कि इन सरकारों ने हिन्दुत्व की मजबूती के लिए कुछ नही किया इन सालों में।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नोएडा के एक कार्यक्रम में भारत के बंटवारे के समय एक बड़ा झटका देखा था, जिसे भुलाया नही जा सकता और जिसे कभी दोहराया नही जाएगा। गौरतलब है कि संघ प्रमुख ने बंटवारे को जरूर गलत बताया लेकिन यह नही बताया कि संघ ने इस बंटवारे को रोकने के लिए किसान आंदोलन की तर्ज पर कोई आंदोलन किया था कि देश का बंटवारा नही होना चाहिए। क्योकि संघ अखंड भारत की बात लम्बे समय से कर रहा है, लेकिन अंखड़ भारत बनाये रखने के लिए क्या किया यह भी तो जनता को बताना पड़ेगा,अन्यथा लोग यही समझें कि सिर्फ सत्ता के लिए ही बंटवारे की चिंता की जा रही है।