भाजपा का विरोध करने के लिए सामाजिक मुद्दों का सहारा लेना पड़ा रहा है भाजपाईयों को
मध्यप्रदेश में उमा भारती, शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ कुर्सी की जगह शराबबंदी को लेकर मोर्चा खोलना स्पष्ट करता है कि भाजपा के अंदर की खींचतान अपने चरम पर है, लेकिन सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए सामाजिक मुद्दो का सहारा भाजपा नेता ले रहे है, ताकि वह अपना विरोध समाज हित के माध्यम से दिखा सके।
छत्तीसगढ़ में भाजपा कांग्रेस पर शराबबंदी का अपना चुनावी वादा पूरा करने का दवाब बना रही है जबकि मध्यप्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस की जगह भाजपा नेता उमा भारती ही शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चा खोलकर शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ा दी है। भाजपा नेता उमा भारती ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को 15 जनवरी तक का समय दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दौरान कुछ नही करी तो स्वयं सड़कों में उतर कर सरकार का विरोध करेगी। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृहमंंत्री अमित शाह के जबलपुर दौरे के दौरान उमा भारती की भाजपा सरकार को चेतावनी राजनीतिक गलियारों में भी अहम मानी जा रही है, क्योकि गुजरात में पूरा मंत्रिमंडल बदल दिये जाने के बाद भी किसी भी भाजपा नेता ने विरोध तक दर्ज कराने का साहस नही जूटा पाये, वही दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में उमा भारती ने सार्वजनिक तौर पर मध्यप्रदेश सरकार पर शराबबंदी नही करने पर सड़क में अपनी ही सरकार के खिलाफ उतरने की चेतावनी देना बहुत कुछ स्पष्ट करता है कि उमा भारती वर्तमान राज्य सरकार के साथ ही भाजपा के आलाकमान की कार्यशैली से भी संतुष्ट नही है। सवाल यह है कि क्या 15 जनवरी तक मध्यप्रदेश मेें शराबबंदी होगी या उमा भारती अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कर भाजपा आलाकमान की परेशानियां बढ़ायेंगी। क्योकि पूर्व में भी उमा भारती ने नशामुक्ति अभियान महिला दिवस से शुरू करने के बात कही थी लेकिन बात में पीछे हट गयी है, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों के साथ ही आम जनता के बीच बनी हुई है।