नये भारत में देश की विदेश नीति भारत सरकार नही, भाजपा के नेता तय करते है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन पर मौन साधे हुए है, लेकिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तालीबान को कू्रर बताया है और तालिबान का समर्थन करने वालों पर भी सवाल उठाये है, इसके अलावा भाजपा के कई नेता भी लोगों को अफगानिस्तान जाने की सलाह देने लगे है जिन्हें भारत में पेट्रोल व डीजल मंहगा लग रहा है। ऐसे में सवाल गहराता जा रहा है कि मोदी सरकार का स्टैँड भी क्या वही होगा जो योगी सरकार या उनके नेताओं का है।
मोदी के नये भारत में क्या मोदी सरकार अहम मुद्दे पर भाजपा नेताओं की राय के अनुसार फैसला करती है, यह सवाल इसलिए चर्चा का विषय बनता जा रहा है क्योकि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आ जाने के लगभग एक हफ्ते बाद भी मोदी सरकार अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दी है, जबकि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तालिबान को कूं्ररता का उल्लेख विधानसभा में करने के साथ ही देश में तालिबान का समर्थन करने वालों पर भी सवाल उठा चुके है, उसी तरह ही भाजपा के कई नेताओं ने ऐसे लोगों को अफगानिस्तान जाने की सलाह दी है जिन्हें देश में पेट्रोल व डीजल मंहगा लग रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस तरह से योगी सरकार के साथ ही अन्य भाजपा नेता तालिबान मामले पर गाइडलाइन तय करते जा रहे है मोदी सरकार की मुश्किलें भी उसी अनुपात में बढ़ती जा रही है क्योकि मोदी सरकार को ना चाहते हुए भी उसी गाइडलाइन पर चलना पड़ेगा जो भाजपा नेताओं द्वारा तय की गयी है, अन्यथा मोदी सरकार पर सवाल गहरा जायेगा? । राजनीतिक जानकारों का मानना है कि देश में धु्रवीकरण की राजनीति को हवा देने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा जरूर तालिबान का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि भारत सरकार भी तालिबान सरकार के आंतकवादी बता करके अफगानिस्तान में चल रहे करोड़ो की परियोजनाओं को क्या बंद करना चाहती है, साथ ही अफगानिस्तान से सूखे मेवों का जो आयात भारत करता है उसे हमेशा के लिए बंद कर देगी? यह कुछ ऐसे सवाल है जिनके चलते मोदी सरकार तो मौन साधे हुए है लेकिन उनके नेता खुल्लेआम मोदी सरकार की गाइडलाइन तय कर रहे है।