बिहार में महागठबंधन टूटने का लाभ एनडीए को मिला, उत्तरप्रदेश में क्यो नही मिलेगा?
सत्ता की दौड़ से बाहर होने के बाद भी सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा की प्रियंका गांधी ने
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस आलाकमान ने क्या गलत समय में पियंका गंाधी को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला लिया है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार को 2024 में केंद्र की सत्ता से दूर करने के लिए जरूरी है कि उत्तरप्रदेश में योगी सरकार की सत्ता में वापसी ना हो पाये? कांग्रेस द्वारा उत्तरप्रदेश की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतराने के प्रियंका गांधी के फैसले से यह सवाल उठने लगा है कि कांग्रेस की इस रणनीति से योगी सरकार की सत्ता वापसी की राह तो नही खूल जायेगी। क्योकि सी वोटर सर्वे में कांग्रेस से ज्यादा से ज्यादा 10 सीट देना स्पष्ट करता है कि कम से कम वह सत्ता की दौड़ में बिलकुल भी नही है, चाहे वह कितना भी जोर लगा लें। गौरतलब है कि जिस तरह बिहार की दो विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन टूटने का फायदा एनडीए को मिला, उत्तरप्रदेश में भी कांग्रेस के मैदान में पूरी ताकत से चुनाव लडऩे का फायदा कही योगी सरकार को ना मिल जाये? यह ऐसा सवाल है जो आम जनता के साथ ही राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
विपक्ष मोदी सरकार को हराने के लिए एकजूटता की बात करता है लेकिन विधानसभा चुनाव में अपने वोट बैंक बढ़ाने के लिए एकता को तारतार करने से भी परहेज नही करता है, ऐसे बिखरा विपक्ष किस तरह से मोदी सरकार को हरा पायेगा? बिहार में दो सीटों के उपचुनाव में महागठबंधन टूट गया। उत्तरप्रदेश की तरह ही बिहार में भी कांग्रेस कमजोर होने के बाद भी समझौता नही की, उसी तरह ही उत्तरप्रदेश में कमजोर होने के बाद भी किसी भी प्रकार का समझौता करती नही दिखाई दे रही है। यूपी में कांग्रेस की कमान संभाले प्रियंका गांधी का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी भी दल के साथ गठबंधन नही करेंगी। सभी सीटों पर अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। प्रिंयका ने सवाल किया कि बीजेपी सरकार सपा और बसपा पर आक्रमण क्यो नही करती? हमारी आस्था , देशभक्ति और हमारे नेताओं पर तरह-तरह के आक्रमण करते है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रियंका गांधी द्वारा कांग्रेस की कमान संभालने के बाद जरूर कांग्रेस पार्टी में सक्रियता नजर आ रही है लेकिन जनता के बीच अभी जगह बनाने में समय लगेगा। वर्तमान राजनीति को देखते हुए कांग्रेस को विधानसभा चुनाव की जगह लोकसभा चुनाव पर फोकस करना चाहिए ताकि मोदी सरकार को सत्ता से हटाने का उत्तरप्रदेश वाला रास्ता साफ हो जाये। वही दूसरी तरफ देश में जिस तरह से कांग्रेसी विधायकों ने पाला बदला है, उससे भी जनता में कांग्रेस के प्रति विश्वास कम हुआ है। बिहार चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब होने के कारण भी राजनीतिक दलों में कांग्रेस से गठबंधन के प्रति रूचि नही है। क्योकि भाजपा कांग्रेस को आसानी से निशाना बना लेती है जिसका नुक्सान गठबंधन के अन्य दलों को भी होता है।
विपक्ष के बिखराव का फायदा योगी सरकार को होगा
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भाजपा पर खूल कर बोलते है लेकिन उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव लडऩे के मामले पर उन्हें भाजपा के सहयोगी का आरोप लगाया जा रहा है, इसी तर्ज पर ही कांग्रेस पर भी सवाल खड़े हो रहे है कि वह उत्तरप्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ कर कही ना कही वह भाजपा को लाभ पहुंचने का अप्रत्यक्ष कोशिश है। राजनीतिक राजकारों का कहना है कि योगी सरकार भी चाहती है कि भाजपा विरोधी वोट किसी भी हालत में एक जूट ना होने पाये। विपक्ष जिस तरह से उत्तरप्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कर भाजपा को हराने की दंभ भर रहा है उसे देखकर यही लगता है कि विपक्ष योगी सरकार को हराने की जगह जीतने की कोशिश में लगा है। यह बात भाजपा के रणनीतिकार भी जान रहे है। किसी लिए एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर गंभीर नही है।