कृषि बिल में अकाली दल एनडीए से अलग हुआ था, क्या अग्रिपथ योजना में जेडीयू एनडीए से अलग तो नही हो जायेगा?
केेंद्र सरकार की अग्रिपथ योजना का जहां देशभर में विरोध किया जा रहा है, वही दूसरी तरफ इस योजना के बाद जिस तरह से प्रदर्शनकारियों के द्वारा , भाजपा नेताओं के घरों को नुक्सान पहुंचाने व भाजपा कार्यालय को जलाये जाने के बाद बिहार की राजनीति भी गर्मा गयी है। जेडीयू और भाजपा के संगठन से जूडे नेताओं के तीखी बयानबांजी बता रही है कि जेडीयू और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है। कृषि बिल को लेकर भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी अकाली दल एनडीए से अलग हो गयी थी, क्या उसी तरह अग्रिपथ योजना में एनडीए से जेडीयू तो अलग नही हो जायेगा ?
बिहार में आरोपियों पर बुलडोजर कब चलेगा?
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए आमने सामने
मोदी सरकार की अग्रिपथ योजना की घोषणा के बाद विरोध के स्वर बुलंद होने के साथ ही बिहार में भाजपा और जेडीयू के बीच भी खींचतान बढ़ती जा रही है। इस योजना के विरोध की शुरूआत बिहार से शुरू हुई, प्रदर्शनकारियों ने शासकीय संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने के साथ ही भाजपा नेताओं के घरों व भाजपा कार्यालय को भी नुक्सान पहुचाने की कोशिश के बाद राज्य की राजनीति पारा गर्माने लगा है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष संजय जयसवाल ने नीतिश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि फायर ब्रिगेड को आग बुझाने के लिए फोन किया गया तो वो कहते है कि एसडीओ कहेंगे तभी हम आएंगे, विरोध करने में कुछ गलत नही है लेकिन प्रशासन के द्वारा व्यक्यिों को टारगेट किया जा रहा है, एक खास पार्टी के दफ्तार को जलाया जा रहा है। मधेपुरा पुलिस दर्शक बनकर बैठी है, पुलिस पर कार्यवाही नही हो रही है, जो भारत में नही हो रहा है वह बिहार में हो रहा है, मैं इसका विरोध करता हूं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का बयान स्पष्ट करता है कि अग्रिपथ योजना के मामले पर नीतिश कुमार की सरकार की कार्यशैली से नाराज है, क्योकि इस योजना का सबसे अधिक विरोध बिहार में होने के कारण मोदी सरकार की इमेज को भी भारी नुक्सान पहुंचा है। वर्तमान में कोई भी भाजपाई इसे बर्दाश्त नही करेगा चाहे वह सत्ता में हिस्सेदार ही क्यों ना हो।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के आरोप पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने कहा कि जयसवाल जी छात्रों के आक्रोश के कारण आपका संतुलन बिगड़ा है, उसके बिगडऩे से आप प्रशासन पर गलत आरोप लगा रहेे है, आपसे शिक्षा लेने की जरूरत नही है, प्रशासन अपना काम कर रहा है। केंद्र सरकार के निर्णय से बिहार ही नही अन्य प्रदेश के जो छात्र और नौजवान है उनके मन में अपने भविष्य के प्रति आशंका पैदा हुई, उस आशंका की तुरंत प्रतिक्रिया उन्होंने जाहिर की और सड़कपर आ गए। छात्रों के मन की आशंकाओं को दूर करना चाहिए, इसके बदले वो प्रशासन पर आरोप लगा रहे है। उन्होंने कहा कि भाजपाशासित प्रदेश उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्यप्रदेश में हो रही हिंसक घटनाओं पर वहां गोली क्यों नही चलवा दे रहे है। संजय जयसवाल को वहां की सरकारों को कहना चाहिए कि सबकों गोली से उड़ा दों। गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री रेणुदेवी ने भी बिहार में हिंसा के आरेापियो के घरों में बुलडोजर चलाने की आवाज जरूर बुलंद की है, प्रदर्शन कारियों के उनके घर को भी नुक्सान पहुंचाया है। अग्रिपथ योजना के विरोध में उत्तरप्रदेश में भी जम कर सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुचंाने के बाद भी योगी सरकार अभी तक बुलडोजर चलाने का साहस नही कर सकी है। गौरतलब है कि मोदी सरकार की अग्रिपथ योजना का भाजपाई जहां खुलकर समर्थन कर रहे है वही जेडीयू इस योजना को पुर्नविचार करने की मांग कर रहा है।
अग्रिपथ योजना से बिहार राजनीति का भी चढ़ा पारा
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय जयसवाल का बयान स्पष्ट करता है कि बिहार में भाजपा सत्ता में शामिल होने के बाद भी फायर ब्रिगेड तक आग बुझाने के लिए नही मिल पा रही है, तो फिर सत्ता में रहने की जगह विरोध में रहना ही ज्यादा उचित होगा। क्या बिहार में भाजपा अग्रिपथ योजना के विरोध के बाद मोदी सरकार की इमेज को भी नुक्सान पहुंचा है क्या उसके चलते सत्ता से अलग होने का फैसला लेेगी? या बगैर किसी अधिकार के सत्त्ता में बनी रहेगी?