देश में कांग्रेस की हालत पतली होने के बाद भी छत्तीसगढ़ में हुई गुटबांजी हावी
छत्तीसगढ़ में क्या भाजपा की सत्ता वापसी की जमीन एक बार फिर कांग्रेसी तैयार कर रहे है? यह सवाल आम जनता के बीच चर्चा का विषय इसलिए बन रहा है क्योकि ढ़ाई ढ़ाई साल के फार्मूले के सार्वजनिक हो जाने के बाद कांग्रेस दो भागों में बंटी साफ नजर आ रही है, खैरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत मिलने के बाद भी सत्ता संघर्ष खत्म नही होने के साथ ही कांग्रेस के अंदरूनी सर्वे में भी कांग्रेस के 38 विधायकों का रिपोर्ट कार्ड खराब होने की बात भी चर्चा का विषय बनी हुर्ह है, जिसका फायदा भाजपा नेता उठाने में लगे हुए है। छत्तीसगढ प्रवास के दौरान भाजपा प्रदेश प्रभारी ने कांग्रेस विधायकों का रिर्पोट कार्ड को निशाना बनाते हुए कहा कि विधायकों का परफॉमेंस बता रहा है कि सरकार किस दिशा में जा रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में ढेड़ साल का वक्त बाकि है इसलिए मोदी सरकार अभी छत्तीसगढ़ को लेकर ज्यादा गँभीर नही है, विधाानसभा चुनाव करीब आने पर मोदी सरकार भी सक्रिय होती तो निश्चित ही वर्तमान हालातों को देखते हुए कांग्रेस की हालात और भी खराब ही होगी, क्योकि चुनाव में वक्त कांग्रेसी नेताओं का भाजपा में शामिल होना एक आम बात हो गयी है। छत्तीसगढ़ इससे अछूता रहेगा इसकी संभावनाएं दूर दूर तक नही है।
पंजाब जैसे हालात छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी बनते नजर आ रहे है
छत्तीसगढ़ की राजनीति से जूडे लोगों को जोगी सरकार में कांग्रेस के अंदर कुर्सी का संषर्घ वरीष्ठ कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल के साथ देखने का मिला था कुछ उसी तरह का संषर्घ 15 साल बाद सत्ता वापसी के बाद कांग्रेस में देखने को मिल रहा है। ढाई ढ़ाई साल के फार्मूला के उजागर होने के बाद इस विवाद का पटाक्षेप पूर्व राष्ट्रीय अक्ष्यक्ष राहुल गांधी नही कर सके और ना ही कांग्रेस आलाकमान ही कर सका है, जिसकी वजह चुनाव को ढ़ेड साल बचे होने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव यह दावा करने से नही चुकते है कि बचे ढ़ेड सालों में भी ढ़ाई ढ़ाई साल वाला फार्मूला लागू होगा, जो बताता है कि मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद अभी भी बाकि है। जिसके चलते कांग्रेस के अंदर गुटबांजी का विस्तार ही होगा। जानकारों का कहना है कि पंजाब में जिस तरह से अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री से हटाने के बाद कांग्रेस में विभाजन हुआ था, कुछ वैसे ही हालात छत्तीसगढ कांग्रेस में भी बनते दिखाई दे रहे है। कांग्रेस का कौन सा गुट, दूसरे गुट का पटखनी देगा, इस पर राज्य की जनता के साथ ही भाजपाई की भी नजर है।
मोदी सरकार के छत्तीसगढ की कमान संभालने के बाद हालात सुधरने की जगह और बिगड़ेगें
कांग्रेस के सर्वे रिपोर्ट भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, भाजपा के प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी भी इस रिपोर्ट के सहारे सरकार पर निशाना साधने से नही चुकी उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के 38 कांग्रेसी विधायक को कार्यप्रणाली बता रही है कि सरकार कैसा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है, ओर सही समय पर कांग्रेस को सही जवाब देगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब विधानसभा चुनाव में ढ़ेड साल का वक्त होने के कारण अभी मोदी सरकार छत्तीसगढ़ की राजनीति में ज्यादा दखलंदाजी नही कर रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव करीब आने पर अन्य राज्यों की तरह ही मोदी सरकार पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी, उस वक्त कांग्रेस की गुटबांजी का विस्तार ही होगा, क्योकि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद देश के किसी भी हिस्से में कांग्रेस अपनी सरकार बचाने में कामयाब नही हो सकी है उम्मीद है कि मोदी सरकार कांग्रेस के इस रिकॉर्ड को छत्तीसगढ़ में तोडऩे नही देगी, ताकि देश में यह संदेश जाये कि मोदी सरकार के रहते कांग्रेस भी सत्ता वापसी कर सकती है, क्योकि अभी तक क्षेत्रीय दल ही मोदी सरकार को हरा कर सत्ता वापसी करने में कामयाब हो सके है।