रूस के खिलाफ वोटिंग नही करने से भी यूक्रेन में भारतीयों की परेशानी बढ़ी
क्या भाजपा के अच्छे दिन खत्म हो गये? यह सवाल इसलिए गहरा रहा है क्योकि विधानसभा चुनाव के दौरान ही यूक्रेन और रूस की बीच की लड़ाई में हजारों भारतीय छात्रों के यूक्रेन में फंसे होने से नुक्सान भाजपा को विधानसभा में हो सकता है। मोदी सरकार चुनावों में व्यस्त होने के कारण इस दिशा में ध्यान नही दिया, जब मामला बिगड़ गया तो छात्रों को निकालने की कोशिश की गयी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वही दूसरी तरफ सयुंक्त राष्ट्र संघ में हुए वोटिंग में मोदी सरकान ने अप्रत्यक्ष रूप से रूस का सहयोग करके कही ना कही भारतीय मेडिकल छात्रों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।
छात्रों का आरोप है कि यूक्रेन में उन्हें लगभब बंधकों जैसेी स्थिति में रखा गया और जमा देने वाली ठंड में भी खाना और पानी के लिए तरसना पड़ा। छात्रों का कहना है कि उनके साथ यह बर्ताव इसलिए किया गया क्योकि भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बनाई थी। लड़ाई के पूर्व मोदी सरकार के द्वारा यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को नही निकाल पाने का असर निश्चित ही विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा, क्योकि ताकतवर प्रधानमंत्री होने के बाद भी भारतीय छात्र यूक्रेन में मौत से संघर्ष कर रहे है।
सयुंक्त राष्ट्र संघ में वोटिंग में रूस के खिलाफ मतदान नही करने का खामियाजा तो यूक्रेन में भारतीय छात्रों को नही भूगतना पड़ रहा है, देश में जरूर मोदी सरकार की इस रणनीति को शानदार कदम बताया जा रहा है लेकिन मोदी सरकार की इस रणनीति के चलते यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीय छात्रों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। कुछ छात्रों का कहना है कि यूक्रेन के लोग भी अब उनके विरोधी हो गए है। गौरतलब है कि वीडियों क्लिप में एक यूक्रेनी गार्ड एक भारतीय लड़की को दूर धकेलता दिखता है, ये लड़की सैनिक के पैरों में गिरकर उनसे सीमा पार करने देने की गुहार लगा रही है। इंडो पॉलिश चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष अमित लाथ के अनुसार रविवार दोपहर तक 250 से भी कम भारतीय छात्र यूके्रेन की सीमा पार कर पोलैंड पहुंच सके है। उनका कहना है कि यूक्रेन में फंसे हजारों छात्रों की चिंता है। अमित लाथ पोलैंड में भारतीय दूतावास के साथ मिलकर भारतीय छात्रों के बचाव कार्य में लगे है।
सुरक्षित निकासी के लिए चार मंत्री तैनात किये मोदी सरकार ने
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को पड़ोसी देशों की मदद से बाहर निकालने के लिए केंद्रीय आवास एवं शहर विकस मंत्री हरदीप पुरी, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू, और पूर्व सेना प्रमुख सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह को जिम्मेदारी दी गयी है। प्रधानमंत्री ने सभी को आश्वास्त किया है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षा और उन सभी की सुरक्षित निकासी सरकार की पहली प्राथमिकता है। जो बताता है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मामला मुश्किलें खड़ी करने लगा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में विधानसभा चुनाव से पहले इसकी होती तो निश्चित ही यूक्रेन रूस लड़ाइ्र्र से पहले ही भारतीयों को निकाला जा सकता था, लेकिन इतिहास में कांग्रेस की हर गलतियों को अवगत होने वाली मोदी सरकार रूस व यूक्रेन की लड़ाई से पूरी तरह अंजान थी। जबकि रूस और यूक्रेन के कई हफ्ते से तनाव की स्थिति बनी हुई थी, इसके बाद भी मोदी सरकार के मंत्रियों व नेताओं को कांग्रेस की गलतियों की तरहइस युद्ध का कोई अनुमान नही लगा पाये।
मोदी सरकार आपदा को अवसर में नही बदल पायी
यूक्रेन में फंसे भारतीयों के मामले पर भाजपा सांसद वरूण गांधी ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सही समय पर सही फैसले न लिए जाने के कारण 15 हजार से अधिक छात्र भारी अव्यवस्था के बीच अभी भी युद्धभूमि में फंसे हुए है। ठोस रणनीतिक और कूटनौतिक कार्यवाही कर इनकी सुरक्षित वापसी इन पर कोई उपकार नही है बल्कि हमारा दायित्व है। हर आपदा मेंं अवसर नहीं खोजना चाहिए। जानकारों का कहना है कि भाजपा के चाणक्य जिस तरह से चुनाव जीतने की रणनीति बनाते है उसी तर्ज पर अगर यूक्रेन में फंसे भारतीयों को भी निकालने की रणनीति मोदी सरकार समय में बनायी गयी होती तो निश्चित ही यूक्रेन और रूस की लड़ाई भाजपा के लिए चुनावों में वरदान साबित होती। लेकिन मोदी सरकार रूस यूक्रेन की लड़ाई का लाभ विधानसभा चुनाव में नही उठा सके।