कुर्सी के लिए भाजपा के सबसे बड़े हिन्दुत्व चेहरे योगी आदित्यनाथ को केंद्रीय नेतृत्व के सामने झुकना पड़ा
केंद्रीय नेतृत्व के सामने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिन्दुत्व के मजबूती के लिए झूके, या अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए? यह ऐसा सवाल है जो राजनीतिक गलियारों के साथ ही आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है। जिसका जवाब सिर्फ और सिर्फ योगी आदित्यनाथ ही दे सकते है।
बंगाल पराजय के बाद उत्तरप्रदेश की शांत राजनीति में उठापटक शुरू हो गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच चले शीतयुद्ध मेें अंतत: केंद्रीय नेतृत्व के सामने योगी आदित्यनाथ को झुकना पड़ा। सवाल यह है कि भाजपा में हिन्दुत्व के सबसे बड़े चेहरे योगी आदित्यनाथ हिन्दुत्व की पताका को मजबूती दिलाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के सामने झुकने को मजबूर हुए या फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए झुकना पड़ा। ऐसे में किस तरह से भाजपा हिन्दुत्व को मजबूती प्रदान कर पायेगी? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में आम हो गया है, भाजपा नेताओं को हिन्दुत्व से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता सता रही है, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व के सामने योगी आदित्यनाथ को झुकना पड़ा और जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार केंद्रीय नेतृत्व के अनुसार ही उत्तरप्रदेश में आगामी मंत्रीमंडल का विस्तार भी होने जा रहा है। राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि इस पूरे घटनाक्रम से भाजपा के हिन्दुत्व मुद्दे को बहुत बड़ा झटका लग सकता हैै क्योकि आम जनता को सात सालों में पहली बार इस बात का एहसास हुआ है कि भाजपा को हिन्दुत्व से ज्यादा कुर्सी की चिंता है इसलिए चुनावी वर्ष में भाजपा के सबसे बड़े हिन्दुत्व के चेहरे योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री से हटाने की कोशिश केंद्रीय नेतृत्व ने की, दूसरी तरफ योगी जी भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए शुरूआती तेवर के बाद केंद्रीय नेतृत्व के सामने झुक गये। इस पूरी घटना से स्पष्ट हो गया कि भाजपा के हिन्दुत्व मुद्दे पर कुर्सी भारी पड़ी।