दूसरी पार्टी में शामिल होने की जगह स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर भाजपा को निपटाने की है रणनीति
हिमाचल प्रदेश में भाजपाईयोंं ने ही भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल कर भाजपा की परेशानी को बढ़ा दिया है्र क्योकि टिकट कटने से नाराज चार पूर्व विधायकों के पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर कर भाजपा की नैय्या को डूबोने का प्रयास कर रहे है, जिसके चलते प्रदेशाध्यक्ष व सांसद सुरेश कश्यप ने 4 पूर्व विधायकों के साथ ही एक पूर्व उपाध्यक्ष को पार्टी से निलंबित कर दिया है।
भाजपाई कांग्रेस नेताओं के बागी होने पर कांग्रेस आलाकमान पर निशाना साधते रहे है लेकिन हिमाचल प्रदेश में टिकट कटने से भाजपा के पूर्व विधायकों ने ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोलकर कही ना कही भाजपा की परेशानी को बढ़ा दिया है। राजनीति जानकारों का मानना है कि बागी भाजपा का राजनीतिक समीकरण बिगड़ा सकते है, अगर गुजरात में भी टिकट कटने के बाद बागी होकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया तो भाजपा की परेशानी और बढ़ जायेगी? क्योकि बागी किसी दूसरी पार्टी में जाने की जगह स्वतंत्र रूप ये मैदान में उतरने के कारण भाजपा उन्हें धुर्वीकरण की राजनीति में फंसा भी नही सकती है । भाजपा के आला नेताओं ने बागियों को मनाने की हर संभव कोशिश की लेकिन कामयाब नही होना साफ संदेश दे रहा है कि राष्ट्र प्रथम की जगह सत्ता प्रथम की परंपरा भाजपा के अंदर ही अपनी जगह ताकतवर मोदी जी के रहते बना ली है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप ने अंतत: बागी किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी, आनी के पूर्व विधायक किशोरी लाल, इंदौरा के पूर्व विधायक मनोहर धीमान, नालागढ़ के पूर्व विधायक के एल ठाकुर व फतेहपुर के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाल परमार को 6 सालों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है, लेकिन बगावत की यह आंच गुजरात भी पहुंच सकती है क्योकि गुजरात में भी भाजपा बैकफुट में नजर आ रही है।