भाजपाई ने मोदी सरकार से धर्म संसद विवाद की सीबीआई जांच की मांग क्यो नहीं की अभी तक?
धर्म संसद में महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले संत कालीचरण के मामले में भाजपा नेता क्या असमंजस में है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल एक तरफ कह रहे है कि सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए धर्म संसद कांग्रेस का टूलकिट था, कालीचरण को बुलाना साजिश का हिस्सा था, वही दूसरी तरफ यह भी कह रहे हैं कि कालीचरण को रिहा कराने की कोशिश जारी रहेगी, जरूरत पड़ी तो भाजपा भी सहयोग करेगी। गौरतलब है कि श्री अग्रवाल भाजपा के बड़े नेता है, उनके बयान को भाजपा से अलग नहीं किया जा सकता है।
भाजपाई धर्म संसद में संत कालीचरण द्वारा महात्मा गांधी के दिये बयान को लेकर स्पष्ट नहीं है, विवाद बढ़ने पर भाजपा ने जरूर संत कालीचरण के बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया, परंतु संत की गिरफ्तारी के बाद भाजपाई रिहा करने की मांग करने लगे हैं, जो बताता है कि महात्मा गांधी पर दिये गये बयान से कोई ना कोई रिश्ता है । एकात्म परिसर में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का यह कहना कि धर्म संसद का आयोजक कांग्रेस नेताओं का आयोजन था, जिसे सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए आयोजित किया गया था, और संत कालीचरण को साजिश के तहत बुलाया था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बृजमोहन अग्रवाल के अनुसार सनातन धर्म को बदनाम करने के कांग्रेसी षडयंत्र का हिस्सा संत कालीचरण भी थे, तो उन्हें रिहा करने की मांग क्यो भाजपा से जुड़े लोग कर रहे है, उन्हें तो सनातन धर्म को बदनाम करने वालों का पर्दाफ़ाश करने के लिए सीबीआई जांच की मांग करनी चाहिए , ताकि स्पष्ट हो सके कि संत कालीचरण ने धर्म संसद में किसके कहने पर महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द बोला, वैसे धर्म संसद के बाद जारी वीडियो में भी संत कालीचरण ने अपनी बात दोहराई थी, किसके दबाव में यह वीडियों जारी किया जनता भी जानना चाहती है । जिस तरह भाजपाई संत कालीचरण की रिहाई की आवाज बुलंद कर रहे है, उससे आम जनता में यही संदेश जा रहा है कि महात्मा गांधी के अपशब्द से ज्यादा कालीचरण की रिहाई की चिंता है, धर्म संसद के नाम से सनातन धर्म के दोषियों को सजा दिलाने की चिंता नहीं है।