बंगाल चुनाव के बाद लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकड़ भाजपा के अंदर कमजोर होती जा रही है
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद दो दिनों में दो मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद सेनानी दारा सिंह चौहान का इस्तीफा स्पष्ट करता है कि यूपी में भाजपा की हालत बेहद खराब है, इसके बाद भी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य यह कहते हुए अपनी पार्टी का बचाव कर रहे है कि परिवार का कोई सदस्य भटक जाए तो दुख होता है। जाने वाले महानुभावों से मैं बस यही आग्रह करूंगा कि डूबती हुई नाव में सवार होने से नुकसान उनका ही होगा। उन्होंने कहा कि भाई दारा सिंह आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। पूर्व में दूसरे पार्टी को छोड़ कर भाजपा में शामिल होने को भाजपाई एक उपलब्धि के तौर पर पेश करती थी, लेकिन पांच साल में ही हालात पूरी तरह से बदल गये है, इसकी उम्मीद भाजपा आलाकमान को नही थी, आज भाजपा छोड़ कर जिस दल में शामिल रहे है उसे डूबती हुई नाव बताया जा रहा है।
दो दिन में दो मंत्रियों ने दिया इस्तीफा यूपी में
मजबूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के रहते जिस तरह से बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जिस तरह से बंगाल भाजपा में बगावत शुरू हुई उसी तर्ज पर यूपी विधानसभा चुनाव के पूर्व यूपी भाजपा में बगावत के शुरू बुलंद हो रहे है और मजबूत आलाकमान चुपचाप तमाश देख रहा है। यूपी भाजपा में बगावत की शुरूआत तो पहले हो गयी थी लेकिन मंत्रियों ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद बगावती तेवर अपनाये, प्रदेश के श्रममंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा देने के बाद भाजपा के चार अन्य विधायकों को इस्तीफा देकर यूपी भाजपा में भूकंप ला दिया। अभी भाजपा इस भूकंप से संभल ही नही आयी थी कि आज वन्य एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान ने इस्तीफा देकर भाजपा की नींद उड़ा दी है। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछड़ो, वंचितों , दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षा की है। पिछड़ो और दलितों के आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिससे परेशान होकर इस्तीफा दिया है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा अपने ही खेल में फंस गयी है, दूसरी पार्टी के नेताओं को चुनाव के वक्त अपनी पार्टी में शामिल करके विपक्षी दलों के मनोबल को तोडऩे की जो रणनीति अपनायी थी उसका शिकार भाजपा पांच साल में हो जायेगी इसकी उम्मीद किसी को नही थी, क्योकि मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी के अंदर बगावत करने की किसी की हिम्मत नही थी। यूपी और गोवा में जिस तरह से भाजपा पार्टी छोड़ रहे है वह स्पष्ट करता है कि प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी की पकड़ भाजपा में बंगाल चुनाव के बाद लगातार कमजोर होती गयी है। यूपी चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के अनुकूल नही हुए तो यह पकड़ और भी कमजोर होगी