देश के बंटवारे के लिए जवाहरलाल नेहरू जिम्मेदार है तो आरएसएस ने किसान या मुस्लिम महिलाओं की तरह लड़ाई क्यों नही लड़ी?
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि आजादी के समय 1947 में जल्दी सत्ता प्राप्त करने की चाह में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश का विभाजन स्वीकार कर हिंदुस्तान को तोडऩे का अपराध किया था, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने यह नही बताया कि देश के इस विभाजन के खिलाफ अखंड भारत की आवाज बुलंद करने वाले संगठनों के नेताओं ने किस तरह की लड़ाई लड़ी, ताकि देश का विभाजन को रोका जा सकें।
देश विभाजन के वक्त अंखड भारत का निर्माण करने की आवाज उठाने वाले क्या कर रहे थे?
भाजपा नेता देश के बटंवारे के लिए कभी महात्मा गांधी को तो कभी जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बता कर अपने आपकों अखंड भारत का समर्थक बताने का प्रयास करते रहे है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी कड़ी में सत्ता की चाह के लिए जवाहर लाल नेहरू को विभाजन का जिम्मेदार बताया। सवाल यह है कि अखंड भारत को बनाये रखने वाले नेताओं ने इस विभाजन का विरोध करने के लिए किसान आंदोलन या सीएए की तर्ज पर क्या कोई लड़ाई लड़ी थी, क्योकि भाजपा नेता कभी भी ऐसी लड़ाई का उल्लेख नही करते है कि अखंड भारत को बचाने के लिए आरएसएस के कितने कार्यकर्ताओं को अपनी जान खोनी पड़ी थी, क्योकि आरएसएस आज भी अखंड भारत की बात करता है लेकिन जब विभाजन का विरोध नही किया तो अखंड भारत का सपना दिखाना सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने का मुद्दा मात्र हैै। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा देश विभाजन के लिए जरूर जवाहरलाल नेहरू व महात्मा गांधी को जिम्मेदार बताती है, लेकिन यह नही बताती है कि आरएसएस ने देश के विभाजन को रोकने के लिए कौन सी लड़ाई लड़ी थी, जैसे मोदी सरकार में किसान कृषि बिल के खिलाफ लड़ाई लड़े या मुस्लिम महिलाओं ने सीएए के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो इतिहास मेें हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। सवाल यह है कि आरएसएस ने देश विभाजन के खिलाफ कौन सी लड़ाई लड़ी जो आज अंखड भारत के निर्माण का बात कह रही है।