उत्तरप्रदेश चुनाव के चलते अगले सत्र के लिए टाल सकती है , मोदी सरकार बैकिंग कानून संशोधन बिल को
मोदी सरकार के द्वारा चालू सत्र में बैकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने दो दिनों बैंक की हड़ताल के बाद भी अगर सरकार इस बिल को लाती है तो एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम का कहना है कि सरकार इस विवादित बिल का पास कराने में सफल होती है तो बैंक अधिकारी और कर्मचारी अनिश्तिकालीन हड़ताल का आव्हान करने पर विचार के लिए मजबूर होंगे। ज्ञात हो कि एआईयूसी और सीआईटीयू सहित 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने पहले ही केंद्र सरकार से अपने सुधार-उन्मुख बैंकिग विधेयक को स्थगित करने का आग्रह किया है।
मोदी सरकार ने किसानों के विकास के नाम पर कृषि बिल को जोर जबरदस्ती से राज्य सभा में पास कराया जिसके बाद किसानों से कृषि बिल के खिलाफ स्वतत्र भारत में एतिहासिक लड़ाई लड़ी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कृषि बिल वापस लेना पड़ा। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार क्या बैंकिग कानून संशोधन विधेयक 2021 का बैंक संगठनों के साथ ही अन्य संगठनों के विरोध को देखते हुए क्या इस सत्र में पास करेगी? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है क्योकि इसका नुक्सान विधानसभा चुनाव मेंं भाजपा को हो सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना कि उत्तरप्रदेश में जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पसीना बहा रहे है उसे देखते हुए सरकार कम से कम इस सत्र में इस विधेयक को पास करने से बचेगी, क्योकि पहले ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की इस्तीफे का विवाद गहराता जा रहा है, ऐसे हालातों में मोदी सरकार एक नया मोर्चा विधानसभा चुनाव के पूर्व नही खोलना चाहेगी। क्योकि बैंककर्मी निजीकरण के खिलाफ ठीक कृषि बिल की तरह आर पार की लड़ाई लड़ते दिखाई दे रहे है। एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम का बयान यही संकेत दे रहा है कि बैंक कर्मी भी किसानों की तरह ही सीधे सीधे मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते है,उनका कहना है कि सरकार अगर यह विवादित बिल पास करती हेै तो अधिकारी और कर्मचारी अनिश्तिकालीन हड़ताल का आव्हान करने को मजबूर हो जायेगें।
आपका बैंक बेच रही है सरकार
बैंकों की हड़ताल के बीच एक पोस्टर वायरल हो रहा है जिसमें लिखा है जो ग्राहक बैंक में ये बोलकर जाते हैं कि बैंक हमारा है, हमारे पैसे से चलता है उनके लिए खास सूचना। संसद में सरकार आपका बैंक बेचने वाली है, फिर मत कहना कि बताया नही था। राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि कृषि बिल वापसी के बाद निश्चित ही हड़ताल करने वाले लोगो का हौसला बढ़ा था, जिसके चलते बैक कर्मियों को भी उम्मीद जागी हेै कि उनके विरोध की आवाज को सरकार नजरअंदाज नही कर पायेगी इस वह बड़ी लड़ाई की तैयारी करते दिखाई दे रहे है। बैंक कर्मियों की हड़ताल का कांग्रेस, एआईटीसी, डीएमके, सीपीआई, सीपीएम, और वाईएस आर सी, टीआरसी, शिवसेना आप सहित कई अन्य राजनीतिक दलों ने समर्थन किया, वही किसानों की तरह ही बैंक कर्मियों की मांगों का समर्थन करते हुए पीलीभीत के भाजपा सांसद वरूण गांधी का कहना हेै कि बैंको के निजीकरण करते समय ये भी देखा जाना चाहिए कि सरकारी बैंक लाखों लोगों को नौकरी देते हैं, सेल्फ-हेल्प गु्रप्स की मदद करते हैं, ग्रामीण बैंकिग उपलब्ध करवाते है और एसएमई को लोन देने का काम करते हैं, ये सभी काम शायद प्राइवेट बैंक न करें।