May 1, 2025

बंगाल में मोदी सरकार की किरकिरी का सिलसिला कब थमेंगा

विधानसभा में जिन दो सीटों पर भाजपा जीती थी वहां पर हुई जमानत जप्त

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की किरकिरी को जो सिलसिला शुरू हुआ वह उपचुनाव तक जारी रहना स्पष्ट संकेत दे रहा है कि बंगाल में मोदी सरकार की दाल नही गल पा रही है। हालात यहां तक पहुंच गये है कि अपनी हार को छिपाने के लिए टीएसमी के आंतक के शासन को जिम्मेदार बताना पड़ रहा है, जैसे कांग्रेस अपनी हार को छिपाने के लिए इसी तरह के बहानों का सहारा लेती आयी है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में दिनहाटा और शांतिपुर सीट भाजपा के पास भी उपचुनाव में वह भी टीएमसी के पास चली गयी। वही चार विधानसभा चुनाव में तीन विधानसभा में भाजपा की जमानत जप्त होना स्पष्ट करता है कि बंगाल में टीएमसी ने भाजपा का तंबू उखाड़ फेकने में लगी है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता के सपने ही ना देख सके, जैसा पिछले चुनाव में देखने की कोशिश की थी। इस जीत पर टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बेनर्जी ने कहा कि सही मायने में पटाखा मुक्त दीवाली। भाजपा के लोगों को दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

मोदी का जादू बंगाल में खत्म

बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का ग्राफ तेजी से गिरा, हालात यह है हो गयी कि पलायन को रोकने के लिए प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष की जगह सुशंात मजूमदार को पार्टी की कमान सौपी इसके बाद भी पलायन का सिलसिला नही रूका जिसका असर अप्रत्यक्ष रूप से मोदी और शाह की इमेज पर भी पड़ा। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय से शुरू हुआ पलायन उपचुनाव तक जारी रहने ये यह स्पष्ट हो गया था कि उपचुनाव में भाजपा की नैक्या डूबने वाली है। भाजपा विधायकों के साथ ही सांसद का टीएमसी में पलायन ने भाजपा के हार की जमीन तैयार कर दी थी, उपचुनाव में आशा के अनुरूप ही टीएमसी ने भाजपा की दो सीट के साथ ही अपनी दोनों सीटें शानदार तरीके से जीत कर भाजपा को जमीन चटा दी।

हार के खोजें जा रहे है बहानें

भाजपा नेता दिलीप घोष का कहना है कि उपचुनाव में मतदान के दौरान हमारे उम्मीदवारों को कभी भी कार, माइक व आवास नहीं मिलता है, लेकिन इस बार पुलिस ने एकतरफा वोट डलवाए, मतदान में पुलिस तटस्थ रूख नही रहा। हम पहले भी उपचुनाव हारे थे लेकिन उसी जगह पर आम चुनाव जीतते थे। जबकि पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस हार के लिए टीएमसी द्वारा फैलाए गए आंतक के शासन को जिम्मेदार बताया। गौरतलब है कि दिनहाटा में भाजपा की हार के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामले के राज्य मंत्री जॉन बारला द्वारा क्षेत्र के सभी जिलों को शामिल करके केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विवादास्पद मांग को अहम माना जा रहा है। इस सीट पर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी लेकिन उपुचनाव में टीएमसी के प्रत्याशी उदयन गृहहा ने भाजपा के अशोक मंडल को 1,64,089 मतों से एकतरफा जीत दर्ज की। वही भाजपा की दूसरी सीट शांतिपुर में भी टीएससी उम्मीवार शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने भाजपा के जॉय साह को 90 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि टीएमसी की शानदार जीत से ममता बेनर्जी का कद बढ़ा है, वही देश की जनता में यह संदेश में गया कि मोदी सरकार को अगर कोई टक्कर दे सकती है तो वह है ममता बेनर्जी।

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