कृषि बिल वापस होने के बाद भी किसानों की नाराजगी खत्म नहीं हुई
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल वापस इस उम्मीद से लिया कि किसानों का भाजपा के प्रति जो नाराजगी है, वह खत्म हो जायेगी। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जमीनी हालत कुछ और ही बयां कर रहे हैं।
पश्चिम यूपी के मुजफ्फरपुर के खतौली विधानसभा के मुनव्वरपुर गांव में भाजपा प्रत्याशी विक्रम सैनी प्रचार करने आये तो गांव वालों ने विरोध के साथ ही यह चेतावनी भी विधायक को दी जा रही है कि आगामी चुनाव विधायक जीत के दिखाये। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया में जम कर वायरल हो रहा है, जो यह संदेश दे रहा है कि कृषि बिल वापस होने के बाद भी किसानों की नाराजगी खत्म नहीं हुई है, पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। विधायक विक्रम सैनी ने चुनाव के मद्देनजर इस विवाद को ज्यादा तूल देने की कोशिश नही करते हुए कहा कि वहां पर दो लड़के शराब पीकर उपद्रव कर रहे थे , जिसे देखकर दूसरे लोग वापस जाने की बात कहने लगे, गांव वाले हमारे साथ है।
राजनैतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव के कारण इस मामले को भाजपा नेता तूल नहीं दे रहे है, क्योंकि इस विवाद को आगे बढ़ाने से भाजपा का ही नुक्सान होगा, यह घटना इस बात के संकेत है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में कृषि बिल वापस लेने के बाद भी भाजपा की मुश्किलें खत्म नही हुई हैं। ब्राम्हण वोट के चलते मोदी सरकार ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा नहीं लिया, जबकि यह साफ हो गया है कि उनके बेटे अशीष मिश्रा ने सुनियोजित तरीके से किसानों को कुचला था। वही जिन वादे के चलते किसानों ने आंदोलन खत्म किया था उस पर सरकार द्वारा कुछ नहीं किये जाने से 31 जनवरी वादा खिलाफी आंदोलन करने की घोषणा किसानों ने की है। जो यह संकेत तो दे रहा है कि विधानसभा चुनाव में किसान कम से कम भाजपा के साथ तो नहीं जाने वाला है।