उत्तराखंड में भाजपा के 15 तो कांग्रेस के 8 बागी चुनावी मैदान में
राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाली भाजपा पार्टी अपने नेताओं को ही एकजूट रख पाने में असफल है, ऐसे में वह किस आधार पर देश को एकजूट बना पायेगी? उत्तराखंड़ में भाजपा के 15 बागी भाजपा के खिलाफ ही चुनाव लड़ रहे है। वही कांग्रेस के आठ बागी प्रत्याशी मैदान में है। जो बताता है कि उत्तरखंड में बागी के मामले पर भाजपाईयों ने कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में पीछे छोड़ दिया है।
उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपनी सरकार बनाने के लिए विपक्षी दलों के साथही अपने नेताओं से भी संघर्ष करना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा के 20 बागी मैदान में थे लेकिन भाजपा संगठन किसी तरह से पांच बागियों को समझा बूझा कर बैठाने में सफल रही, लेकिन फिर भी 15 बागी प्रत्याशी भाजपा को हराने के लिए मैदान में है जो भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकते है। बागी के मामले पर उत्तराखंड में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ कर बता दिया कि राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा के खिलाफ उनकी ही पार्टी के नेता बगावत कर सकते है, जो स्पष्ट संकेत दे रहा है कि राष्ट्रवाद का नारा सिर्फ देश की जनता को गुमराह करने के लिए लगाया जाता है, इस नारे के आड़ में सत्ता तक पहुंचाना या उसमें बना रहना ही पहला और आखरी मकसद होता है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बगावत करके 15 बागियों ने पर्चा भरा था जिसमें कांग्रेस संगठन सात नेताओं के पर्चा वापस कराने में सफल रही। कांग्रेस के आठ बागी प्रत्याशी मैदान में है, जो कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बने हुए है।