बाबा रामदेव की झूठ से देश का अपमान की चिंता गोदी मीडिया को नही
कोरोना वापसी के साथ ही बाबा रामदेव ने भी आपदा को अवसर में बदलने के लिए कोरोना की दवा कोरोनील की भी वापसी इस दावे के साथ की, कि कोरोनील को डल्ब्यूएचओ ने भी मान्यता दी है। गौरतलब है कि यह दावा उस वक्त किया गया जब मोदी सरकार के दो केन्द्रिय मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी उपस्थित थे। बाबा रामदेव के इस दावे बाद डल्ब्यूएचओ को स्पष्टिकरण जारी करना पड़ा कि डब्ल्यूएचओ ने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोरोना के इलाज के लिए सर्टिफिकेट नही दिया है। इस पूरे घटना से क्या देश का सम्मान डब्ल्यूएचओ में बढ़ा या दूुनिया मेें भारत की शाख बढ़ी, यह ऐसा सवाल है जिस कोई भी चर्चा नही करना चाहता है।
सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के उपस्थित में ऐसे झूठे दावे किया जाना साबित करता है कि मोदी सरकार किस तरह से रामदेव से डरी हुई है कि वह उनके गलत कामों का विरोध तक करने का साहस नही जूटा पा रही है, जबकि इस मामले से निश्चित ही मोदी सरकार की साख के साथ ही देश के सम्मान भी गिरा है, इस घटना से यही संदेश दिया कि बाबा रामदेव ने
अपनी कोरोनील दवा को बेचने के लिए किस तरह तक झूठ बोल सकते है। जानकारों की मानें तो अगर ऐसा ही झूठा दावा किसी और के द्वारा किया गया होता तो गोदी मीडिया उसे देश का सम्मान के साथ जोड़ दिया जाता हैे लेकिन बाबा रामदेव के मामले पर गोदी मीडिया व मोदी सरकार दोनों ही मौन साध लिया है। यह घटना साबित करता है कि पहले प्रयास में असफल होने के बाद बाबा रामदेव ने कोरोनील बेचने के लिए एक बार फिर दाव खेला लेकिन इस बार भी फेल हो गया, लेकिन इस बार दुनियां में भी भारत का सिर नीचा हुआ कि देश के व्यापारी लोग कोरोना को भी अवसर में बदलने का कोई भी मौका नही छोड़ रहे है। गौरतलब है कि किसान आंदोलन में रिहाना के ट्वीट को देश के सम्मान से जोड़ दिया गया था लेकिन बाबा रामदेव द्वारा अपनी दावा के प्रचार के लिए डल्ब्यूएचओ से मान्यता मिलने के झूठे दावें को किसी ने भी देश के अपमान से जोडऩे का साहस नही किया। मोदी सरकार के सत्ता में आने से पूर्व बाबा रामदेव ने देश की जनता से वादा किया था कि पेट्रोल व डीजल के दामों में कमी आयेगी, जो वीडिय़ों इन दिनों सोशल मीडिया में बहुत वायरल भी हो रहे है क्योकि देश में पेट्रेाल डीजल के दामों में आग लगी हुई है।