बस्तर जहां अधिकारियों व कर्मचारियों को सजा के तौर पर भेजा जाता था, उसी तरह केंद्र सरकार ने आईएएस दंपत्ति को लद्दाख और अरूणाचलप्रदेश भेजा
अधिकारियों व कर्मचारियों को सजा के तौर पर बस्तर भेजें जाने का एक इतिहास रहा है, छत्तीसगढ़ बनने के बाद जरूर इस सोच में कमी आयी है लेकिन पूरी तरह से अभी भी खत्म नही हो सकी है, क्या लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश भी बस्तर जैसे क्षेत्र है जहां पर केंद्र सरकार ने दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में कुत्ते धुमाने वाले आईएएस दंपत्ति को इन दोनों जगह पर भेजा है, गौरतलब है कि इन दिनों राज्यों में चीन के साथ तनाव का माहौल बना हुआ है।
नियमित स्थानांतरण नही था यह
अंगे्रजों के समय भारतीयोंं को सजा देने के लिए कालापानी भेंजा जाता है, उसी तरह ही मध्यप्रदेश के समय अधिकारियों और कर्मचारियों को सजा के तौर पर बस्तर भेजा जाने की चर्चा थी, छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद जरूर बस्तर के हालात में बदलाव आया है लेकिन अभी भी बस्तर में अधिकारियों के स्थानांतरण को सजा के तौर पर ही देखा जाता है, क्या देश स्तर पर लद्दाख और अरूणाचलप्रदेश अधिकारियों के सजा के तौर पर भेजने वाले बस्तर है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योकि दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में खिलाडिय़ों की पै्रक्टिस को रोक कर आईएएस दंपत्ति संजीव खिरवार और उनकी आईएएस पत्नी रिंकू दुग्गा कुत्ते धुमाते थे। जिसका निश्चित ही खिलाडिय़ों की प्रैक्टिस पर असर पड़ा, इस खबर के सार्वजनिक होने के बाद केंद्र सरकार ने श्री खिरवार का अरूणाचल प्रदेश , और रिंकू दुग्गा को लद्दाख स्थानांतरण कर दिया, यह स्थानांतरण आईएएस अशोक खेमका की तरह नही होने की वजह से सवाल उठने लगा है कि क्या लद्दाख व अरूणाचलप्रदेश के हालात इतने खराब है कि किसी अधिकारी को वहां पर सजा के तौर पर भेजा जा सकता है, इस स्थानांतरण से कही ना कही लद्दाख और अरूणाचलप्रदेश की छवि पर असर पड़ेगा, जैसे बस्तर को आज भी पिछडा क्षेत्र ही जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि लद्दाख और अरूणाचलप्रदेश में चीन विवाद भी इन दिनों अपने चरम पर है, चीन ने जहां अरूणाचलप्रदेश में एनक्लेंव बनाने के साथ ही जगहों पर नाम भी बदल दिया है वही लद्दाख मे पेगौंग क्षेत्र में चीन दूसरा पूल बनाने के साथ ही पीछे हटाने का तैयार नही है।