क्या आदिपुरूष का विरोध करने वालों को हिन्दुवादी कवि मनोज मुंतशिर समझाने में कामयाब होगें?
आदिपुरूष फिल्म के बचाव में उतरे हिन्दूवादी कवि और फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुन्तशिर की कोशिश क्या कायमाब होगी? यह सवाल चर्चा का विषय इसलिए बन गया है क्योकि वह भी हिन्दुत्व की विचारधारा का खुल कर समर्थन कर रहे थे, उस वक्त यह नही सोचा कि आने वाले दिनों में उन्हें भी विरोध से रूबरू होना पड़ेगा, जिसका वह समर्थन कर रहे थे। फिल्म आदिपुरूष के विरोध व बैन करने की आवाजों की बीच वह लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे है कि इस फिल्म में काम करने वाले सभी लोग सनातनी होने के साथ ही यह भी दावा कर रहे है कि फिल्म वास्तविक रामायण से 1 फीसदी भी अलग नही है।
हिन्दुवादी कवि मनोज मुंतशिर को इस बात का बिलकुल भी एहसास नही रहा होगा कि वह जिसका आज समर्थन कर रहे है कल उनके विरोध का सामना भी करना पड़ेगा? फिल्म आदिपुरूष के डॉयलॉग राइटर होने के नाते वह हिन्दू संगठन को समझाने का प्रयास कर रहे है कि हमारी फिल्म वास्तविक रामायण से 1 फीसदी भी अलग नही है। जब हम रामायण के बारे में बात करते है तो हमारे दिमाग में क्या आता है और टीचर में क्या देखा है। रामायण एक महाकाव्य है जिसमें रावण ने मां सीता का अपहरण कर लिया था और भगवान राम वानर सेना की मदद से उन्हें बचाने के लिए लंका गये. संक्षेप में यह रामायण पांच साल के बच्चे को भी बताई जाती है यही वह कहानी है जिसे हम जी रहे है और फिर से अपनी फिल्म में बता रहे है। सवाल यह है क्या मनोज मुन्तशिर फिल्म का विरोध करने वालों को समझाने में कामयाब होगें? क्योकि कुछ समय पूर्व उनके हिन्दुत्व प्रेम पर सवाल उठाने पर वह कितना समझे थे, यह उनके अच्छा कौन जान सकता है, अब मामला पूरी तरह से बदल गया है और मनोज मुंतशिर लोगो को समझा रहे है लेकिन क्या लोग समझ पायेगें या विरोध जारी रहेगा ?