आईपीएस के योगी के खिलाफ मोर्चा खोलने से योगी सरकार का हिन्दुत्व एजेंडा भी हुआ प्रभावित
उत्तरप्रदेश के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लडऩे का फैसला क्या विपक्ष के इशारों पर किया है, इसका पता गोदी मीडिया अपने स्तर पर लगा रही है, जैसे ही कोई सूत्रों से पता चलेगा जनता को बताने में देरी नही होगी। क्योकि मोदी सरकार और योगी सरकार के खिलाफ कोई भी आवाज बुलंद होती है तो उसमें सरकार से ज्यादा विपक्ष की हिस्सेदारी का दावा गोदी मीडिया के साथ ही भाजपाई नेता करते है, किसान आंदोलन इसका जीताजागता प्रमाण है जो नौ महीने से चल रहा है, भाजपा इसे विपक्ष का आंदोलन बता कर किसानों की आवाज को कमजोर करने का प्रयास तो कर रहे है लेकिन इसके बाद भी आदंोलन को खत्म नही करा पा रहे है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि योगी सरकार ने ने अमिताभ ठाकुर को विपक्षी दलों के दबाव में आकर समय पूर्व ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया और आज उसी विपक्ष के इशारे पर योगी के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए ताल ठोक रहे है। विपक्ष के इशारे पर हुए इस पूरे मामले पर कही ना कही योगी सरकार की छवि को ही नुक्सान पहुंचा है, क्योकि श्री ठाकुर का कहना है कि योगी सरकार ने कोई भी काम मैरिट के आधार पर किया है, सारे काम केवल एजेंडा और व्यक्तिगत पसंद व नापंसद पर किया है, अमिताभ ठाकुर ने जो कहा वही बात विपक्ष भी योगी सरकार के लिए कहती आयी है। अमिताभ ठाकुर किसी खास धर्म से जूडे नही होने के कारण इस पूरे मामले को धर्म की राजनीति में भी योगी सरकार नही बदल पा रही है। जिसकी वजह से कही ना कही योगी सरकार की हिन्दुत्व वाली इमेज भी प्रभावित हो रही है। मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ अमिताभ ठाकुर चुनाव लड़ कर उन्हें हरा पायेगें, इसकी संभावनाएं तो कम ही है लेकिन जिस तरह से उन्होंने योगी जी के खिलाफ विधानसभा चुनाव के पूर्व मोर्चा खोल है उससे योगी सरकार की परेशानियां कम तो बिलकुल भी नही हुई है।