हर हर महादेव व अल्ला हो अकबर के नारे समाज में एकजूटता ला सकती है, जिससे अखंड भारत का सपना भी साकार हो सकता है भविष्य में
आर एस एस अखंड भारत की बात कहती है तो निश्चित ही उन्हें मुजफ्फरपुर में आयोजित महापंचायत में अल्ला हो अकबर , हर हर महादेव, के लगाये जाने वाले नारे की तारीफ करनी चाहिए क्योकि यह नारे दो धर्मो के लोगों को एक साथ लाने में सहायक साबित होगें जो पूर्व के दंगे के कारण बट गये थे । लेकिन सवाल यह है कि अभी तक किसी भी आरएसएस के नेताओं ने महापंचायत में समाजिक एकता बनाये रखने के लिए लगाये गये नारे की तारीफ नही की है, दबे जूबान पर इन नारों पर सवाल ही उठाया जा रहा है। संघ परिवार व भाजपा जो कांग्रेस पर देश बॉटने का आरोप लगाती रही है वह कृषि बिल के खिलाफ किसानों के नौ महीने से किये जा रहे आंदोलन को विभाजित करने के लिए किसान आंदोलन को पहले सिखों का आंदोलन बताया इसके बाद खालिस्तान समर्थक होने का आरोप लगाया , जब इससे भी आंदोलन में फूट नही पड़ी तो पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश के जाटों का आंदोलन करार दिया। लेकिन किसान आंदोलन समय के साथ और मजबूत होता गया और दूसरे लोग भी इस आंदोलन का हिस्सा बनने लगें, आज यह आंदोलन मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा सरदर्द बन गया है कि इस समस्या से वह कैसे निकले, क्योकि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में किसान नेताओं ने कृषि बिल को लेकर भाजपा को हराने की आवाज बुलंद कर रहे है। आरएसएस जो अखंड भारत की बात तो करती है लेकिन कृषि बिल के खिलाफ किसानों के आंदोलन में फुट डालने के लिए अनेकों प्रयास किया जाना यही संकेत देता है कि किसानों की एकता उन्हें पसंद नही आ रही है, मोदी सरकार के हितों के लिए वह किसानों की एकता को तोडऩा चाहते है जिस तरह से शाहीन बाग के आंदोलन को बदनाम करने में सफल हुए थे। आरएसएस अखंड भारत का नारा तो लगती है लेकिन जमीनी स्तर पर महा पंचायत में लगाये गये अल्ला हो अकबर और हर हर महादेव पर सवाल उठाती है वह साबित करता है कि अखंड भारत का नारा भी सिर्फ राजनीतिक हित साधने के लिए लगाया जाता है अन्यथा धर्म की राजनीति को बढ़ावा देकर कभी भी अखंड भारत का निर्माण नही किया जा सकता है।